रामा सिंह को जमानत नहीं मिली
दुर्ग | समाचार डेस्क: अपहरण के आरोपी सांसद रामा सिंह के जमानत अर्जी को अदालत ने ख़रिज कर दिया. रामा सिंह के वकील ने अदालत से गुहार की कि कुछ दिनों बाद लोकसभा का मानसून सत्र आरंभ होने वाला है इसलिये उसे जमानत दी जाये परन्तु अदालत ने आरोप को संगीन मानते हुये उनके जमानत की अर्जी ख़ारिज कर दी. सांसद रामा सिंह इस्पात कोयला एवं खान स्थाई समिति के सदस्य तथा ऊर्जा नवीनीकरण की परामर्शदात्री समिति के भी सदस्य हैं.
अदालत ने पुलिस को सांसद रामा सिंह के नार्को टेस्ट की भी अनुमति नहीं दी क्योंकि वह इसके लिये तैयार नहीं है. उल्लेखनीय है कि बिहार के वैशाली के सांसद रामा सिंह दुर्ग के व्यवसायी जयचंद वैद अपहरण कांड के मुख्य आरोपी हैं.
दुर्ग पुलिस अब तक सांसद रामा सिंह से कुछ ख़ास नहीं उगलवा पाई है. अदालत ने रामा सिंह को 7 जुलाई तक न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है. रामा सिंह ने उनको दुर्ग सेन्ट्रल जेल से रायपुर सेन्ट्रल जेल भेजने के मुद्दे पर कहा कि उन्हें दुर्ग जेल में किसी प्रकार की असुरक्षा नहीं है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के कुम्हारी इलाक़े में 29 मार्च 2001 को पेट्रोल पंप व्यवसायी जयचंद वैद का अपहरण हुआ था. अपहरणकर्ता जयचंद बैद को उनकी कार के साथ ले गए थे.
डेढ़ महीने बाद बड़ी मुश्किल से जयचंद वैद की रिहाई संभव हो पाई थी.
पुलिस का आरोप है कि जयचंद बैद अपहरण में जिस कार का इस्तेमाल किया गया था, वह कार रामा किशोर सिंह के घर से ही बरामद हुई थी.
जयचंद वैद के अपहरण के समय रामा किशोर सिंह बिहार के महनार इलाक़े के विधायक थे.
तब इस मामले में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ़्तार किया था.
एक आरोपी उपेंद्र सिंह ऊर्फ़ कबरा को 6 फ़रवरी 2013 जब पुलिस एक पेशी के बाद जनशताब्दी एक्सप्रेस से दुर्ग से रायपुर ले कर जा रही थी, उस समय उपेंद्र और उसके साथियों ने ट्रेन को ‘हाईजेक’ कर लिया था और उपेंद्र फ़रार हो गया था. बाद में मार्च 2013 में उपेंद्र को झारखंड के धनबाद से गिरफ़्तार किया गया.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने जयचंद बैद अपहरण मामले में उपेंद्र सिंह ऊर्फ़ कबरा और लोजपा सांसद रामा किशोर सिंह समेत 13 लोगों को इस मामले में अभियुक्त बनाया था, जिसमें से 10 लोगों को विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई जा चुकी है.
पुलिस पिछले 12 सालों से रामा किशोर सिंह को गिरफ़्तार करने की कोशिश करती रही है, लेकिन वे इससे बचते रहे. सबसे पहले रामा किशोर सिंह ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से इस मामले में राहत मांगी थी. लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2012 में ही उनकी अर्ज़ी ख़ारिज कर दी थी.
इसके बाद रामा किशोर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जहां से उन्हें छत्तीसगढ़ की स्थानीय अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया गया था.