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PF निकासी का फैसला टला

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: मजदूर संगठनों द्वारा विरोध किये जाने के बाद पीएफ निकासी पर रोक का फैसला टाल दिया गया है. केन्द्र सरकार के बजट प्रस्तावों के अनुसार 30 अप्रैल 2016 से पीएफ निकासी के पुराने नियम बदलने थे. पीएफ निकासी ने नये नियमों के विरोध में मजदूर संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. आखिरकार केन्द्र सरकार ने अपने फैसले पर 31 जुलाई तक रोक लगा दी है.

राजनीतिक विरोधियों के हमलों और मजदूर संघों के दबाव के बाद सरकार ने मंगलवार को कहा कि मकान बनाने, चिकित्सा और बच्चों की शादी के नाम पर भविष्य निधि से निकासी रोकने की अधिसूचना को 31 जुलाई तक लागू नहीं किया जाएगा.

केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भविष्य निधि में योगदान की निकासी को सदस्यों के 58 वर्ष पूरे होने से पहले अनुमति नहीं देने के प्रस्ताव पर 31 जुलाई के बाद ही फैसला किया जाएगा.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “पीएफ निकासी को रोकने वाली अधिसूचना को तीन महीने के लिए 31 जुलाई, 2016 तक ठंडे बस्ते में रखा जाएगा.”

श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि श्रमिक संघों से इसके विरोध में कई प्रतिवेदन प्राप्त हुए थे.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने मंगलवार को कहा कि वह तब तक विरोध जारी रखेगा, जब तक कि पीएफ से निकासी पर सभी तरह की रोक नहीं हटा ली जाती है.

बेंगलुरू के कपड़ा कामगारों ने निकासी रोके जाने के विरोध में मंगलवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन किया है और एक थाने के आसपास खड़े करीब दर्जन भर वाहनों में आग लगा दी.

सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में कर्मचारियों के योगदान से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए ईपीएफ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड की एक बैठक आयोजित की जाएगी.

श्रम मंत्रालय ने फरवरी में एक अधिसूचना जारी कर दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने वालों द्वारा भविष्य निधि की सौ फीसदी निकासी पर रोक लगा दी थी. विरोध के बाद इसके कार्यान्वयन पर 30 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी गई थी. विरोध जारी रहने के बाद सरकार ने इसे और आगे बढ़ा दिया है.

ईपीएफओ ने भी कर्मचारियों के दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने की स्थिति में उनके योगदान और उस पर मिले ब्याज की निकासी पर रोक लगा दी है.

नए प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, कर्मचारी 54 साल पूरे करने के बाद पीएफ निकासी का दावा नहीं कर सकते, उन्हें 57 वर्ष पूरे करने तक इंतजार करना होगा.

पहले के नियमों के मुताबिक, 54 वर्ष की अवस्था पूरी होने पर योगदानकर्ता या सदस्य निधि में संचित 90 फीसदी राशि निकाल सकते थे और आखिरी निकासी का निपटारा सेवानिवृत्ति से ठीक एक साल पहले किया जा सकता था.

पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बेंगलुरू के कपड़ा कामगारों ने मंगलवार को अधिसूचना का विरोध करते हुए व्यस्त मैसूर-बेंगलुरू राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया और कई वाहनों में आग लगा दी.

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

श्रमिक संघ के नेताओं के मुताबिक, निकासी रोकने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इसके दायरे में कुल योगदान का सिर्फ 3.67 फीसदी हिस्सा ही आता है.

सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष और सीबीटी सदस्य ए.के. पद्नाभन कहा, “यह गैर जरूरी फैसला है. ट्रस्टी बोर्ड में सभी श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया है. नियोक्ताओं के कई प्रतिनिधियों ने भी इसका विरोध किया है.”

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