राष्ट्र

महिलायें शनि मंदिर में जा सकेंगी

अहमदनगर | समाचार डेस्क: करीब 400 साल बाद महिलाओँ को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है. इसे लिये कुछ समय से विशेष रूप से महिलाओं द्वारा प्रयास किया जा रहा था. प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि शुक्रवार से महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा-याचना कर सकेंगी. यह निर्णय ट्रस्ट की एक बैठक में लिया गया और इसकी घोषणा ट्रस्टी शालिनी लांडे ने की.

उल्लेखनीय है कि चार दशकों से महिलाओं को यहां काले पत्थर पर कदम रखने की अनुमति नहीं थीं, जो कि शनिदेव का प्रतीक है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का तत्काल स्वागत किया. इसके लिए भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड नामक महिलाओं के समूह ने चार महीने तक आंदोलन किया था.

इससे पहले 2 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय ने एक दिन पहले दिए गए फैसले कि कोई भी कानून पूजास्थलों में महिलाओं को प्रवेश करने से नहीं रोकता, के बावजूद शनि शिंगणापुर मंदिर में महिला कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई और ग्रामीणों ने उन्हें पूजा करने से रोक दिया गया था.

उस समय ‘भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड’ की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने लगभग 200 महिला समर्थकों के साथ जब शनि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो गांव के सैकड़ों लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर महिलाओं को शनि मंदिर में जाने से रोक दिया. ग्रामीणों में 300 से ज्यादा महिलाएं भी शामिल थीं.

उल्लेखनीय है कि बंबई उच्च न्यायालय ने एक दूरगामी फैसले में कहा था कि कोई भी कानून पूजास्थलों में महिलाओं को प्रवेश करने से नहीं रोकता. इस मामले में लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एच.वाघेला और न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक की पीठ ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर दिया था. याचिका सामाजिक कार्यकर्ता विद्या बल और वरिष्ठ वकील नीलिमा वर्तक ने दायर की थी.

इसमें अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती दी गई थी.

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