तेजाब मुझे रोक न पाई
मध्य दिल्ली में लगभग 11 साल पहले 16 वर्षीय लक्ष्मी पर एक सिरफिरे आशिक ने तेजाब फेंक दिया था. सात सर्जरी के बाद आज वह एक आत्मनिर्भर युवती है, जिसने इतने वर्षो दर्द और सामाजिक तानों को सहा है.
एक साल की बेटी की मां लक्ष्मी एक गैर लाभकारी संस्था ‘छाव फाउंडेशन’ की निदेशक हैं. वह महिलाओं पर हो रहे तेजाबी हमलों और इन हमलों में बच निकली तेजाब पीड़िता तक पहुंच बनाने के लिए ‘स्टॉप एसिड अटैक्स’ अभियान से जुड़ी हुई हैं.
लक्ष्मी ने कहा, “जब एक 32 वर्षीय युवक ने मुझ पर तेजाब फेंका, उस समय मैं 16 वर्ष की थी. मैंने एक 32 वर्षीय युवक के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिस वजह से उसने मुझ पर तेजाब फेंक दिया. उस समय यह घटना वर्ष 2005 की है. मैं उस समय किताब खरीदने के लिए खान मार्केट गई हुई थी.”
लक्ष्मी ने कहा, “वह काफी भयवाह था, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. मुझे सात सर्जरी से गुजरना पड़ा, जिसमें से एक 2009 में हुई जो काफी जोखिम भरी थी और भारत में पहली बार हो रही थी.”
लक्ष्मी के मुताबिक, सामाजिक बुराइयों को कम करने में समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह काफी निराशाजनक है कि लोग महिलाओं पर हो रहे इस तरह के अपराधों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते.
लक्ष्मी कहती हैं, “समाज महिलाओं पर हो रहे अपराध की स्थितियों को तैयार करता है. लोग तब तक चुप रहते हैं, जब तक कि वह भी उस तरह के दुख से नहीं गुजरते. हम सभी को समाज में महलिाओं पर हो रहे अपराधों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.”
लक्ष्मी के लिए 11 साल पहले उस बुरे सपने से बाहर निकलना आसान नहीं था. एक समय था, जब उसके लिए उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा पूरी करने में भी दिक्कतें हो रही थीं.
लक्ष्मी कहती हैं, “यह घटना जिंदगी में मुझे आगे बढ़ने से नहीं रोक पाई.
लक्ष्मी के दृढ़ संकल्प और परिवार के सहयोग ने उन्हें उच्च माध्यमिक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम में दाखिला लेने और कंप्यूटर शिक्षा के लिए प्रेरित किया.
लक्ष्मी सभी मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक यातनाओं से जूझने के बाद वह आज न सिर्फ अपने अधिकारों के लिए खड़ी हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी आवाज उठा रही हैं.
लक्ष्मी को अमरीका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा द्वारा वर्ष 2014 में ‘इंटरनेशनल वुमेन ऑफ करेज अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था.
लक्ष्मी ने यह पुरस्कार प्राप्त करने के बाद एक कविता पढ़ी, “तुमने मेरे चेहरे पर तेजाब नहीं फेंका, तुमने मेरे सपनों पर इसे फेंका है. तुम्हारे दिल में प्यार नहीं है. तुम्हारे दिल में तेजाब भरा हुआ है.”
लक्ष्मी अब तेजाब हमलों और इसके विरोध के बारे में जागरूकता फैला रही हैं. वह कहती हैं, “हमने स्पॉट ऑफ शेम, ब्लैक रॉस कैंपेन जैसे कई अभियान चलाए हैं और आगरा में शेरोज हैंगआउट नाम से एक कैफे भी है.”
लक्ष्मी ने कहा, “हम सोशल नेटवर्किंग के जरिए लोगों को हमारा समर्थन करते हुए भी देख रहे हैं.”
लक्ष्मी ने तेजाब की बिक्री रोकने के भी प्रयास किए हैं और बाजार में तेजाब की बिक्री बंद कराने के लिए याचिका पर लगभग 27,000 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं.
उन्होंने कहा, “मेरे द्वारा जनहित याचिका दायर किए जाने से पहले तेजाब की बिक्री के संदर्भ में कोई कानून नहीं था. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने तेजाब की खुली बिक्री पर रोक लगा दी, लेकिन दुर्भाग्यवश बाजार में तेजाब अभी भी उपलब्ध है.”