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भारत हिंद-प्रशांत का प्रमुख खिलाड़ी: US

वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी विदेश मंत्रालय ने मान लिया है कि भारत हिंद-प्रशांत महासागर का प्रमुख खिलाड़ी है. इसीलिये अमरीका भारत के साथ समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहा है. यह अमरीकी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है क्योंकि महज दस साल पहले भारत-अमरीका रक्षा व्यापार 30 करोड़ डॉलर का था जो अब बढ़कर 14 अरब डॉलर का हो गया है. अमरीका हिंद-प्रशांत में समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाने के मामले में भारत को एक प्रमुख शक्ति और महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखता है. भारत एक ऐसी क्षेत्रीय ताकत है, जो नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए अमरीकी उपमंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने सोमवार को यहां यह बात कही. उन्होंने कहा, “समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक संभावना है, खासकर इसलिए कि क्षेत्र की सबसे बड़ी समुद्री शक्ति भारत के साथ हमारा अभूतपूर्व सहयोग है.”

उन्होंने सेंटर फॉर अ न्यू अमरीकन सिक्युरिटी में दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए वर्ष 2016 हेतु अमरीकी नीतियों एवं प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा, “चूंकि एशिया की अर्थव्यवस्था लगातार विकास कर रही है, इसलिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक समुद्री सुरक्षा की जरूरत भी है.”

बिस्वाल ने कहा, “लिहाजा, नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख खिलाड़ी और महत्वपूर्ण साझेदार बन गया है.”

न्यूयॉर्क में पिछले साल सितंबर में अमरीका-भारत-जापान के मंत्री स्तरीय बैठक में भी समुद्री सुरक्षा चर्चा के केंद्र में थी.

पिछले साल की गर्मियों में पहली बार भारतीय पोतों ने अमरीका, चीन और 20 अन्य देशों के साथ रिमपैक अभ्यास में भाग लिया था.

भारत और अमरीका के बीच रक्षा व्यापार पर्याप्त रूप से बढ़ा है. एक दशक पहले जो महज 30 करोड़ डॉलर था, वह बढ़कर अब करीब 14 अरब डॉलर का हो गया है.

उन्होंने कहा, “उभरते भारत को लेकर कोई सवाल नहीं है. अब यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह अभी दक्षिण एशिया के विकास का ईंजन है और आगे भी बना रहेगा.”

अमरीका-भारत व्यापार परिषद के अनुसार, पिछले डेढ़ साल में करीब 30 अमरीकी कंपनियों ने भारत में करीब 15 अरब डॉलर का निवेश किया है और अगले वर्ष तक 50 से अधिक कंपनियों के 27 अरब डॉलर से अधिक के निवेश के करार की उम्मीद है.

बिस्वाल ने कहा कि हमलोगों ने भारत में अमरीकी निवेश में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी है. इसने चीन में अमरीकी निवेश को भी पीछे छोड़ दिया है.

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