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‘इम्पोर्ट ड्यूटी कम हो’

रायपुर | समाचार डेस्क: सराफा बाजार में इम्पोर्ट ड्यूटी काफी अधिक होने से उपलब्धता घट गई है, इसीलिए बाजार में कीमतें भी बढ़ गई हैं. आज जो 10 फीसदी इम्पोर्ट ड्यूटी है, उसे कम से कम 4 फीसदी किया जाना चाहिए. वायदा बाजार के कामकाज पर पूरी तरह से रोक लगाया जाना चाहिए. कार्ड स्वैप चार्जेस में एकरूपता रखते हुए कमी किया जाना भी सराफा बाजार के लिए जरूरी है. यह राय है रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू की. बजट से पहले सराफा बाजार के कारोबारी भी केंद्र व राज्य सरकार से काफी अपेक्षा बाजार हित में रखते हैं. हरख मालू ने कहा कि बाजार में जब तक सोने की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी, कीमतें भी नियंत्रित रहेंगी. कीमतें बढ़ने या असमानता का असर भी बाजार पर पड़ता है.

उन्होंने कहा कि पहले 2 फीसदी ही इम्पोर्ट ड्यूटी थी, जिसे क्रमश: बढ़ाया जाना था, लेकिन 10 फीसदी तक बढ़ा दिया जाना बाजार के अनुकूल नहीं है. यदि वास्तविक रूप से भी देखा जाए तो 4 फीसदी तक की ड्यूटी बाजार संतुलन की दृष्टि से यथायोग्य है. इसलिए इम्पोर्ट ड्यूटी कम करना बहुत ही जरूरी है.

मालू ने कहा कि बाजार में अस्थिरता का एक प्रमुख कारण वायदा बाजार (एमसीएक्स) का संचालन भी है. यह जानलेवा है, इससे कई परिवार तबाह हो चुके हैं. सरकार को चाहिए कि इसे बंद करे.

सराफा बाजार की एक प्रमुख मांग रही है कार्ड स्वैप चार्ज में एकरूपता व कमी लाना. बैंकिंग सेक्टर से जुड़े इस विषय को लेकर रायपुर सराफा एसोसिएशन ने आरबीआई के समक्ष अपनी मांग प्रमुखता से रखी है और अव्यावहारिक कारण भी बताया है. वे भी उनकी बातों से सहमत हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

विडंबना यह है कि पूरे छत्तीसगढ़ में एकमात्र हाल मार्किंग सेंटर हैं, इसलिए सरकार से उनकी मांग है कि प्रत्येक शहर में हाल मार्किंग सेंटर खोली जाए, ताकि कारोबारियों को सुविधा मिले. 2 लाख से ऊपर की खरीदी पर पैन कार्ड की अनिवार्यता भी अव्यहारिक निर्णय है, इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह ग्राहक व कारोबारी दोनों के लिए परेशानी वाला विषय है. केंद्र सरकार से आगामी बजट में इन विषयों पर गौर करने की मांग एसोसिएशन की ओर से की जाती है.

राज्य सरकार से जुड़े बजटीय विषय पर सराफा एसोसिएशन ने कहा है कि कौशल विकास योजना के अंतर्गत रविवि में प्रारंभ हो रहे कोर्स बेचलर आफ जेम एंड ज्वेलरी के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध करवाया जाए. विवि प्रबंधन का कहना है कि फंड की कमी से यह कोर्स प्रारंभ नहीं हो पा रहा है, जबकि रोजगारोन्मुख इस पाठ्यक्रम के चालू होने का काफी फायदा सराफा व्यवसाय को मिलेगा और हुनरमंद हाथों को रोजगार भी मिलेगा.

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