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आदर्श घोटाला: सीबीआई को मुकदमे की इजाजत

मुंबई | समाचार डेस्क: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ सीबीआई को आदर्श सोसाइटी घोटाला मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. यह विपक्षी कांग्रेस के लिए बड़ी शर्मिदगी की बात है. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 8 अक्टूबर, 2015 को राज्यपाल को खत लिखकर नए मिले सबूतों के मद्देनजर चव्हाण के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.

चव्हाण वर्तमान में महाराष्ट्र के नांदेड़ से लोकसभा के सांसद हैं और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख हैं.

चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल द्वारा मंजूरी दिए जाने की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता व विधायक संजय दत्त ने भाजपा पर अपने राजनीतिक विरोधियों को कुचलने के लिए बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया.

सीबीआई ने अपने पत्र के साथ दो सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट के अलावा बम्बई उच्च न्यायालय की वे टिप्पणियां भी भेजी थीं, जो 2014 में आपराधिक पुनर्वीक्षा आवेदन दाखिल करने पर की गई थी. जांच आयोग में न्यायाधीश जे.ए. पाटिल (सेवानिवृत्त) और पूर्व मुख्य सचिव पी. सुब्रमण्यम शामिल थे.

इसके बाद राव ने आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी मामले में चव्हाण के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 197 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी.

57 वर्षीय चव्हाण दिसंबर 2008 से नवंबर 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे. आदर्श घोटाले में उनका नाम सामने आने पर पार्टी ने उनको हटाकर पृथ्वीराज चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया था. वे कांग्रेस के प्रमुख नेता एस.बी. चव्हाण के बेटे हैं जो केंद्रीय मंत्री के साथ दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे थे.

यह घोटाला दक्षिण मुंबई के पॉश कोलाबा क्षेत्र में एक प्लॉट पर बने 31 मंजिला इमारत में फ्लैटों के आवंटन से जुड़ा है.

पिछले महीने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की अध्यक्षता में महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में मुकदमा चलाने का फैसला लिया और राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट दी.

वहीं, जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों- अशोक चव्हाण, स्व. विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और शिवाजीराव नीलांगेकर-पाटिल (तत्कालीन राजस्व मंत्री) समेत कई शीर्ष अफसरों व अन्य अधिकारियों के खिलाफ इस हाई प्रोफाइल मामले में मुकदमा चलाने को कहा था.

इस कमीशन का गठन जनवरी, 2011 में किया गया था. हालांकि इसकी रिपोर्ट को तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने दिसंबर 2013 में खारिज कर दिया था.

21 सितंबर 1999 को आदर्श सोसाइटी ने युद्ध नायकों और सेवानिवृत्त रक्षाकर्मियों के लिए एक इमारत का निर्माण करने के लिए जमीन की मांग की थी. उसे 9 जुलाई 2004 को सड़क बनाने के लिए आरक्षित रखी गई जमीन मुहैया कराई गई.

जब यह पॉश इमारत बनकर तैयार हुई तो इसके कुल 102 सोसाइटी सदस्यों में केवल 37 सेनाकर्मी थे जिनमें कारगिल युद्ध में भाग लेनेवाले तीन सेनाकर्मी भी शामिल थे. बाकी लोगों में कुछ शीर्ष के राजनेता और अफसर थे. इनमें कई सेवारत तो कई सेवानिवृत अधिकारी थे.

जब इस घोटाले का खुलासा हुआ तो उस वक्त यह विवादास्पद इमारत खाली पड़ा था. न तो यहां बिजली की सुविधा थी और न ही पानी की सुविधा शुरू की गई थी. घोटाला सामने आने के बाद चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

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