छत्तीसगढ़: सूखा पीड़ितों के लिये राहत
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सूखा प्रभावित किसानों और खेतिहर श्रमिकों को राहत पहुंचाने के लिए अतिरिक्त पैकेजों का ऐलान किया. उन्होंने इस बारे में विधानसभा में विस्तार से वक्तव्य दिया और उसके बाद सदन के बाहर विधानसभा परिसर में भी इस संबंध में जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और किसान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं. सूखे के संकट की इस घड़ी में सरकार किसानों के साथ खड़ी है और उनके हित में हर वो उपाय करने के लिए कटिबद्ध है, जो उनके लिए हितकारी हों.
मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के अन्नदाता किसानों को सूखे के दुष्प्रभाव से बचाने और राहत देने के लिए की गयी अतिरिक्त राहत पैकेजों की घोषणाएं इस प्रकार हैं-
(1) राज्य के सभी सूखा प्रभावित किसानों के खरीफ 2015 के अल्पकालीन कृषि ऋणों को ब्याज रहित मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तन की सुविधा दी जाएगी, अथवा उन्हें आंशिक ऋण माफी के विकल्प दिए जाएंगे. लगभग पांच लाख किसान परिवारों को इसका लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 37 पैसे आनावारी तक के अधिक सूखा प्रभावित गांवों में ऋण परिवर्तन पर इस वर्ष 2015-16 में 30 प्रतिशत, अगले वर्ष 2016-17 में 50 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में 20 प्रतिशत वार्षिक ब्याज रहित किश्तों में भुगतान की सुविधा मिलेगी. शेष गांवों में दो बराबर ब्याज रहित किश्तों में दो वर्ष में भुगतान किया जा सकेगा. विकल्प में 75 प्रतिशत ऋण जमा करने की दशा में 25 प्रतिशत ऋण माफ किया जाएगा.
(2) मनरेगा योजना के तहत सूखा प्रभावित तहसीलों में 150 दिन के स्थान पर 200 दिनों तक रोजगार दिया जाएगा.
(3) सूखा प्रभावित 117 तहसीलों में इस वर्ष लगान की वसूली को स्थगित रखा गया था, उसे अब माफ किया जाएगा.
(4) सूखा प्रभावित तहसीलों में खरीफ वर्ष 2015 के सिंचाई टैक्स की जो वसूली अभी स्थगित की गयी है, उसे भी माफ किया जाएगा.
(5) सूखा प्रभावित किसानों को उनकी बेटियों की विवाह के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत अब तक दी जाने वाली 15 हजार रूपए की सहायता राशि को बढ़ाकर 30 हजार रूपए किया जाएगा. (6) नगर पंचायत क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आवश्यकतानुसार विभागीय मद से रोजगारमूलक कार्य शुरू कराएं जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि किसानों के व्यापक हित में लिए गए इन फैसलों से प्रदेश के सूखा प्रभावित किसानों को आवश्यक लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों को सूरक्षित करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है. भविष्य में भी जब जरूरत होगी, हमारी सरकार किसानों के हित में उनके साथ खड़ी रहेगी.
माकपा ने बताया जले पर नमक
वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार की कथित क़र्ज़ माफ़ी की योजना को ‘ किसानों के जले पर नमक छिड़कना ‘ बताया है. पार्टी ने कहा है कि जिस किसान के पास सूखे और क़र्ज़ के कारण अपने अंतिम संस्कार में कफ़न-दफ़न के लिए फूटी कौड़ी नहीं है, उनसे 25% क़र्ज़ माफ़ी के लिए 75% क़र्ज़ अदा करने के लिए कहा जा रहा है. माकपा ने आरोप लगाया है कि जो सरकार हजारों करोड़ के धान घोटाले में अपना खज़ाना खाली करने से नहीं हिचकती, वह किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने के लिए तैयार नहीं है.
गुरुवार जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि सरकार की कथित घोषणा से किसानों को कोई वास्तविक राहत नहीं मिलने वाली है और यह घोषणा छलावा मात्र है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सरकारी पक्ष की चर्चा से यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रदेश में व्याप्त कृषि संकट को हाल करने के लिए सरकार में कोई राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं है और किसानों की समस्याओं के प्रति वह संवेदनहीन बनी हुई है. यही कारण है कि आत्महत्या करने वाले किसानों की विधानसभा में खिल्ली उड़ाने में भी वह नहीं हिचकती.
माकपा नेता ने कहा कि इस सूखे में भी सरकार उन्हें 2400 रूपये प्रति क्विंटल की दर से लाभकारी समर्थन मूल्य देने का अपना चुनावी वादा पूरा नहीं कर रही है और न ही मनरेगा का काम खोलकर उन्हें रोज़गार देने में उनकी कोई दिलचस्पी है. प्रदेश का किसान संस्थागत क़र्ज़ से ज्यादा महाजनी क़र्ज़ में डूबा है और इन सूदखोरों को सरकार छूने के लिए भी तैयार नहीं है, क्योंकि इनके भाजपा-कांग्रेस दोनों से ‘ पुश्तैनी ‘ रिश्ते हैं. ऐसी नीतियों के कारण प्रदेश में किसान आत्महत्याएं और बढ़ेंगी.