राष्ट्र

बेअंत हत्या का आरोपी जत्थेदार बना

अमृतसर | एजेंसी: अकाली दल के विरोधियों ने ‘सरबत खालसा’ बुला अकालतख्त के वर्तमान जत्थेदार को हटाने की घोषणा कर दी है. इसी के साथ जेल में बंद बेअंत सिंह के हत्या के मुख्य आरोपी को नया जत्थेदार नियुक्त करने की घोषणा कर दी है. अकाल तख़्त के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने नियुक्त किया था जिसमें सिरोमणि अकाली दल का बहुमत है. सिखों के धार्मिक मामलों में संकट उस समय गहरा गया, जब चरमपंथी सिखों ने दोषी करार दिए जा चुके खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह हवारा को मंगलवार को सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था, अकाल तख्त का जत्थेदार नियुक्त करने की घोषणा कर दी. चरमपंथियों ने सभी जत्थेदारों को ‘हटाने’ का भी ऐलान किया है.

अमृतसर के पास चब्बा में हुए ‘सरबत खालसा’ में उग्र सिख नेताओं ने इन फैसलों का ऐलान किया.

हवारा तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहा है. बेअंत सिंह की 31 अगस्त, 1995 को हत्या की गई थी.

सरबत खालसा में अकाल तख्त के मौजूदा जत्थेदार गुरबचन सिंह को हटाकर उनकी जगह हवारा को जत्थेदार बनाने का फैसला किया गया.

यह तय किया गया कि चूंकि हवारा जेल में है, इसलिए उसकी जगह पूर्व सांसद डी.एस.मांड को अकाल तख्त का अंतरिम जत्थेदार नियुक्त किया जा रहा है. तय किया गया कि वह बुधवार को दीपावली के दिन स्वर्णमंदिर परिसर में सिख समुदाय को संबोधित करेंगे.

सरबत खालसा का आयोजन कुछ चरमपंथी संगठनों ने किया है.

सरबत खालसा में पंजाब के पूर्व पुलिस प्रमुख के.पी.एस गिल और ऑपरेशन ब्लूस्टार के कमांडर के.एस.बरार को तनखैया (धार्मिक रूप से गलत काम करने वाला) घोषित किया गया और इनसे 20 नवंबर को अकाल तख्त के सामने पेश होने को कहा गया.

उल्लेखनीय है कि अकाल तख़्त सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है जिसके मुखिया को जत्थेदार कहते हैं. वो अन्य प्रमुख सिख प्रतिनिधियों के साथ धर्म और मर्यादा से जुड़े फ़ैसले लेते हैं जो सभी सिखों पर बाध्य होते हैं.

ख़ास आह्वान के बाद, सिख पंथ से संबंधित मुद्दों पर फ़ैसले लेने के लिए सरबत ख़ालसा बुलाया जाता है. हालाँकि, इस सरबत ख़ालसा के बारे में ये विवाद है कि इसे मौजूदा अकाल तख़्त जत्थेदार की रज़ामंदी से नहीं बुलाया गया.

अकाल तख़्त के जत्थेदार की नियुक्ति शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करती है जो सिख गुरुद्वारा एक्ट के तहत ऐतिहासिक सिख गुरुद्वारों की देखरेख करती है.

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