दिल्ली सरकार को बिजली का झटका
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि कैग बिजली कंपनियों की ऑडिट नहीं कर सकता. इसे केजरीवाल सरकार के लिये एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि 2013 के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच कैग से करवाने की बात कही थी. बिजली कंपनियां उसकी विरोध कर रहीं हैं. केजरीवाल की कहना था कि भारी मुनाफे के बाद भी बिजली के दाम बढ़ाये जा रहें हैं इसलिये उनकी जांच आप सरकार करवायेगी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार को झटका देते हुए एक अहम फैसले में कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच नहीं कर सकता. न्यायालय का यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी में बिजली प्रदान करने वाली तीन प्रमुख कंपनियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर.एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने शुक्रवार को बिजली वितरण कंपनियों- टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड की याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी.
दिल्ली सरकार ने इन बिजली वितरण कंपनियों के खातों की ऑडिट सीएजी से करने को कहा था.
कंपनियों की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि सरकार का आधिकारिक लेखा परीक्षक बिजली वितरण कंपनियों के खातों की ऑडिट नहीं कर सकता.