राष्ट्र

OROP पेंशन का ऐलान, सैनिक असंतुष्ट

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केन्द्र सरकार शनिवार को वन रैंक, वन पेंशन के लिये राजी हो गई है. इसके लिये आधार वर्ष 1 जुलाई 2014 होगा तथा हर पांच साल में इसकी समीक्षा होगी. वीआरएस लेने वाले पूर्व सैनिंको इसके दायरे से बाहर रखा गया है अर्थात् वीआरएस लेने वाले सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा. केंद्र सरकार ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि वह वन रैंक, वन पेंशन को लागू करेगी. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, “सरकार ने ओआरओपी को लागू करने का फैसला लिया है.”

वन रैंक, वन पेंशन की मांग को लेकर पूर्व सैन्यकर्मी जून से ही आंदोलनरत थे. दिल्ली के जंतर-मंतर पर कुछ पूर्व सैन्यकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर 17 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी शुरू की थी.

आंदोलनरत पूर्व सैन्यकर्मियों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात भी की थी.

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की घोषणा के तुरंत बाद अभियान की अगुवाई कर रहे मेजर जनरल सतबीर सिंह ने जंतर मंतर पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हम सरकार द्वारा ओआरओपी लागू करने का स्वागत करते हैं, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं. क्योंकि पूर्वसैनिकों की सभी छह मांगें स्वीकार नहीं की गई हैं.”

उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन की भावी रणनीति पर निर्णय शाम को लिया जाएगा.

सिंह ने कहा, “रक्षामंत्री ने कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैनिकों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. अगर ऐसा होता है तो हमारे रक्षा बलों के लिए यह एक बड़ा धक्का होगा, क्योंकि 40 प्रतिशत से अधिक सैनिक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं.”

इसके अलावा विवाद का एक अन्य कारण एक सदस्यीय समिति भी है, जो छह माह के भीतर अपनी रपट पेश करेगी.

सिंह ने कहा, “हमने उन्हें स्पष्ट कर दिया है कि अगर समिति गठित होती है तो यह पांच सदस्यीय समिति होनी चाहिए, जिसमें तीन सदस्य पूर्वसैनिक होने चाहिए और एक रक्षा सेवा का सदस्य होना चाहिए. पांचवें सदस्य की सिफारिश सरकार को करनी चाहिए.”

error: Content is protected !!