PPP मॉडल में जनहित: रमन सिंह
रायपुर | संवाददाता: आईआईएम अहमदाबाद में रमन ने कहा कि पीपीपी मॉडल में जनहित सर्वोपरि है. वहीं, प्रमुख सचिव अमन सिंह ने कहा यह मॉडल ईसा पूर्व भी अस्तित्व में था तथा स्वेज नहर को इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बताया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पब्लिक प्रायवेट पार्टनर शिप में पब्लिक का हित सर्वोपरि होना चाहिए. विकास की बढ़ती हुई चुनौतियों को पूरा करने के लिए पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप पर आधारित परियोजनाएं महत्पूर्ण भूमिका निभा सकती है लेकिन इसमें लोक और निजी हितों के बीच पर्याप्त संतुलन आवश्यक है. उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारियों को पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप का ऐसा मॉडल विकसित करना चाहिए जो छत्तीसगढ़ की स्थानीय परिस्थितियों में कारगर सिद्ध हो.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप पर आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, आईआईएम के प्रोफेसर सेबस्टियन मॉरिस, अजय पांडे और अन्य प्रतिभागी अधिकारी भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे संसाधनों से परिपूर्ण लेकिन अधोसंरचना, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से पिछड़े क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ने के लिए केवल सरकारी बजट पर आधारित नहीं रहा जा सकता है. इसके लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं और उद्यमियों को विकास में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित करना जरूरी है. लेकिन कोई भी निजी संस्था या निवेशक तभी निवेश करेगा जब उसे राज्य की नीतियों, संसाधनों और परियोजना में विश्वास हो और इसमें राज्य के साथ साथ उसके भी हित संवर्धन का अवसर हो.
उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं तभी सफल हो सकती है जब इसमें राज्य और निजी क्षेत्र दोनो के लिए लाभ की स्थिति हो. उन्होंने कहा कि जो अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं उनमें अधिकांश युवा है और आगामी वर्षो में छत्तीसगढ़ के विकास की योजनाओं को बनाने और उसे मूर्तरूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे .
उन्होंने कहा कि हम अधोसंरचना के अतिरिक्त, स्वास्थ्य, रेलवे, शिक्षा और सिंचाई आदि क्षेत्रों में भी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप पीपीपी मॉडल पर कार्य करना चाहते है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारी इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों के लिए भी विकास के नये रास्ते ढूंढ निकालेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के लिए विकास के रास्ते खोलने के लिए अधोसंरचनाओं का विकास अत्यंत ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही इन क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता नहीं मिल पायी है.
उन्होंने रावघाट रेल परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि अगर किसी पिछड़े क्षेत्र में रेल लाईन का विकास हो जाये तो उस क्षेत्र की ग्रोथ में 18 प्रतिशत तक का बढ़ावा मिल सकता है. रावघाट परियोजना भी बस्तर के लिए ऐसी ही भूमिका का निर्वाह करने वाली है. इसी प्रकार पीपीपी मॉडल से हम सरगुजा के पिछड़े छह जिलों में भी विकास की नयी यात्रा प्रारंभ करेंगे.