साइबर स्पेस में छिड़ेगा संग्राम
पटना | एजेंसी: लोकसभा में भाजपा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को सोशल मीडिया व अन्य डिजिटल माध्यमों पर प्रचार का फायदा मिला था. जिससे प्रभावित होकर बिहार में होने वाले चुनाव में राजनीतिक पार्टियां इस लोकप्रिय माध्यम का इस्तेमाल करने को बेताब हैं.
छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां : जनता दल-युनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा आगामी बिहार चुनाव में नेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास में अभी से जुट गई हैं. केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा भी बिहार में जल्द ही ऐसा अभियान शुरू करने वाली है, ताकि वह राज्य में सत्तारूढ़ जद-यू के चुनाव अभियान को चुनौती दे सके.
पार्टियां अपने वोटरों को लुभाने के लिए फेसबुक पर वादे करने के साथ-साथ व्हाट्सएप पर संवादमूलक और सूचनाबद्ध संदेश भेज रही हैं.
जद-यू के मुख्य प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा, “यह युवाओं और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं को आकर्षित करने का बेहतर तरीका है. हमने एक ‘वार रूम’ तैयार किया है, ताकि हम डिजिटल अभियान में अपने विरोधियों को चुनौती दे सकें.”
उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सत्ता में आने के लिए बेहद प्रभावी रूप से सोशल मीडिया और उच्च-तकनीक वाले अभियान का इस्तेमाल किया.”
बिहार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, राज्य की 11 करोड़ जनसंख्या में सिर्फ पांच लाख लोग कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि दो से तीन करोड़ लोग मोबाइल फोन पर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
त्यागी कहते हैं कि 2014 आम चुनाव ने भारत में चुनाव लड़ने के तरीके में बदलाव कर दिया है.
इधर, राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी कहते हैं कि भले ही बिहार की जनता में सोशल मीडिया की पहुंच सीमित है, लेकिन कोई भी इसके सकारात्मक और दीर्घकालिक प्रभाव से इनकार नहीं कर सकता.
सिद्दीकी ने कहा कि डिजिटल अभियान के लिए तकनीक विशेषज्ञ की नियुक्ति, मीडिया रूम की स्थापना और 24 घंटे उसमें लोगों के काम करने की जरूरत होती है.
जद-यू के वार रूम रणनीति के तहत टीवी, म्यूजिक सिस्टम, माइक्रोफोन और स्पीकर से लैस 400 ट्रक राज्यभर के गांवों में घूम-घूम कर प्रचार करेंगे और सरकार की उपलब्धियां जन-जन तक पहुंचाएंगे.