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क्या है ‘मोदी-डोभाल सिद्धांत’?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: म्यांमार में घुसकर आतंकवादियों को मारने की रणनीति मोदी-डोभाल की है. नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तथा अजित डोभाल देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. इस भारतीय कार्यवाही के पक्ष में कहा जा रहा है कि ऐसा मोदी तथा डोभाल के कारण ही संभव हो पाया है. वहीं, इसके आलोचकों का कहना है कि म्यांमार में ही 1995 में गोल्डन बर्ड नाम से भारतीय सेना ने ऑपरेशन चलाया था. बाद में 2001 में भी भारतीय सेना ने म्यांमार में घुस कर कई चरमपंथियों को मारा था. त्रिपुरा की ओर से बांग्लादेश में जा कर सेना ने कई हमले किये हैं. उदाहरण तो कई हैं, लेकिन पाकिस्तान की सीमा में घुस कर अलग बांगलादेश बनाने का काम भी भारतीय सेना ने ही अंजाम दिया था. भारत-म्यांमार सीमा पर आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई, आतंकवाद तथा चरमपंथ से निपटने को लेकर मोदी-डोभाल सिद्धांत की उपज है. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने बताया कि इसका जश्न मनाना हालांकि जल्दबाजी होगी.

सुरक्षा व्यवस्था से करीब से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल अच्छा काम कर रहे हैं.”

डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद ग्रहण करने से पहले थिंक टैंक विवेकानंद फाउंडेशन का हिस्सा थे और उनके एक व्याख्यान के मुताबिक, दुश्मनों से तीन प्रकार से सामना किया जाता है, रक्षात्मक, आक्रामक-रक्षात्मक और आक्रामक.

डोभाल ने व्याख्यान में कहा था, “हम दुश्मनों से तीन प्रकार से निपटते हैं. पहला रक्षात्मक रवैया, अगर कोई हमारे यहां आता है तो हम रक्षात्मक हो जाएंगे. दूसरा आक्रामक-रक्षात्मक है, जिसमें हम अपने यहां आने वाले दुश्मन पर उसके घर में घुसकर हमला करेंगे. तीसरा आक्रामक रुख, जिसमें हम दुश्मनों पर सीधे हमला करेंगे.”

अधिकारी ने बताया कि मंगलवार का अभियान रक्षात्मक-आक्रामक शैली का था.

क्या पश्चिमी सीमा पर समान रुख अपनाया जाएगा, अधिकारी ने बताया कि दोनों तरफ स्थितियां अलग हैं.

अधिकारी ने कहा, “रक्षा और सुरक्षा की रणनीति कुछ ऐसी होती है, जो कार्रवाई और कार्रवाई न करने के परिणाम पर गहन विचार करने के बाद विकसित होती है, इसलिए म्यांमार में आतंकवादी संगठन पर मिली जीत पर फिलहाल जश्न मनाना न सिर्फ गलत बल्कि मूर्खता होगी.”

उन्होंने कहा, “हमें यह साफ करने की जरूरत है कि म्यांमार में आतंकवादियों से निपटना लश्कर-ए-तैयबा से निपटने से अलग है, जिसको पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का पूरा समर्थन है.”

अधिकारी ने कहा, “म्यांमार में जो चीजें चलती हैं, वे पश्चिमी सीमा पर आतंकवादी संगठन के खिलाफ नहीं चलेंगी. इसके लिए हमें सीधे नहीं, बल्कि छापेमार कार्रवाई की जरूरत है.”

भारत ने मंगलवार को भारत-म्यांमार सीमा पर दो स्थानों पर हमला किया, जिसमें कई आतंकवादी मारे गए.

यह कार्रवाई चार जून को भारतीय सेना के काफिले पर हुए हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप की गई थी, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे.

अतिरिक्त महानिदेशक, सैन्य अभियान मेजर जनरल रणबीर सिंह ने मंगलवार को कहा कि म्यांमार के अधिकारियों को भरोसे में लिया गया है.

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