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मणिपुर: हमले में 20 जवान शहीद

इंफाल | समाचार डेस्क: मणिपुर में विद्रोहियों के हमले में सेना के 20 जवान शहीद हो गये हैं. मणिपुर के चंदेल जिले में गुरुवार को विद्रोहियों ने सेना के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में सेना के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि 11 अन्य घायल हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना पर हुए इस हमले की निंदा की है. पिछले एक दशक के दौरान देश में भारतीय सेना पर हुए हमलों में इसे सबसे भीषण हमला माना जा रहा है.

सेना की 6-डोगरा रेजीमेंट का एक दल सुबह के समय सड़क की नियमित गश्त पर था. सेना का काफिला जब पारालांग और चारोंग गांव के बीच एक स्थान पर पहुंचा, तभी विद्रोहियों ने घात लगाकर हमला कर दिया.

सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवादियों ने सबसे पहले काफिले के चार वाहनों पर रॉकेट चालित ग्रेनेड से हमला किया, जिसमें काफिले के पहले वाहन में आग लग गई. सेना का यह काफिला चंदेल से इंफाल की ओर जा रहा था.

हमलावरों ने इसके बाद अचानक ही स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं.

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस हमले में शहीद हुए ज्यादातर जवानों के शव जले हुए हैं और उनकी पहचान की जा रही है.

वहीं घायलों को इंफाल स्थित सेना के शिविर के एक अस्पताल ले जाया गया.

रक्षा मंत्री के अधिकारी ने कहा, “एक वाहन, संभवत: काफिले के पहले वाहन में आरपीजी से हमले के कारण आग लग गई.”

सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई भी की लेकिन आतंकवादी भागने में कामयाब रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मणिपुर में आज हुआ हमला बहुत ही दुखद है. देश के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले हर एक सैनिक के आगे मैं सिर झुकाता हूं.”

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विद्रोहियों द्वारा घात लगाकर किए गए इस हमले की निंदा की और कायरतापूर्ण हरकर को अंजाम देने वाले हत्यारों को सजा दिलाने की प्रतिज्ञा ली.

रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना मणिपुर में शांति बहाली के लिए काम करती रहेगी. इस घटना में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों के प्रति उन्होंने अपनी गहरी संवेदनाएं जताई.

सेना ने इस हमले के पीछे मणिपुर स्थित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, पीएलए का हाथ होने की आशंका जताई है. हालांकि सेना का कहना है कि इस हमले में एनएससीएन-के का भी हाथ हो सकता है. एनएससीएन-के की जिले में मजबूत पकड़ है और हाल ही में इसने सरकार के साथ संघर्ष विराम के समझौते को वापस ले लिया था.

यद्यपि मणिपुर में कई विद्रोही संगठन है लेकिन इनमें से ज्यादातर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के नेतृत्व में काम करते हैं. एनएससीएन का नेतृत्व ए.एस. कपलांग करता है. यह संगठन दंचेल जैसे नगा बहुल इलाकों में मौजूद है.

सुरक्षा बलों ने हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है.

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