मंगोलिया: रिश्तों में आई गर्माहट
उलान बटोर | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी के मंगोलिया जाने से उसके साथ भारत के रिश्तों में गर्माहट आई है. मंगोलिया की यात्रा पर भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के आगमन के साथ ही दोनों देशों ने ‘दिल-दिमाग’ के संबंध के आधार पर अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान की और मंगोलिया ने भारत को अपना ‘तीसरा और आध्यात्मिक पड़ोसी’ घोषित किया. दोनों देशों के बीच 13 अहम समझौते भी हुए, जिसमें एक संशोधित हवाई सेवा समझौता, जिसके तहत भारत एवं मंगोलिया के बीच अंतर्राष्ट्रीय हवाई सेवा के पूर्व प्रबंध में बदलाव किए गए हैं, सजायाफ्ता कैदियों के हस्तांतरण और साइबर सुरक्षा से जुड़े समझौते शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने इस बेहद व्यस्त दौरे के पहले ही दिन दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट लाने के साथ-साथ तीरंदाजी में भी हाथ आजमाया, वाद्ययंत्र बजाए, उपहार में एक सुंदर घोड़ा पाया और चिर परिचित अंदाज में सेल्फी लिया.
मोदी शनिवार रात मंगोलिया पहुंचे.
दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद रात्रि भोज के दौरान मोदी ने कहा, “24 घंटे से कम समय में हमने वास्तविक मित्रता का अहसास किया.”
उन्होंने कहा, “यात्रा का महत्व तय की गई दूरी से नहीं, बल्कि हासिल होने वाले लक्ष्य से पता चलता है. यह यात्रा छोटी हो सकती है. लेकिन इसका परिणाम महत्वपूर्ण है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “दिन भर में हमने अपने प्राचीन रिश्तों में नई ताकत और गति दी.”
मंगोलिया के राष्ट्रपति सखियागिन एल्बेगदोर्ज और प्रधानमंत्री चिमद सेखनबिलग के साथ स्टेट पैलेस में बैठक करने के बाद मोदी ने मंगोलिया में आधारभूत संरचना संबंधित परियोजनाओं के लिए एक अरब डॉलर ऋण देने की घोषणा की.
मोदी ने कहा, “मंगोलिया, भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का अभिन्न हिस्सा है. भारत और मंगोलिया की किस्मत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य के साथ करीब से जुड़ी हुई है.”
मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने अपनी व्यापक साझेदारी में सुधार लाते हुए इसे रणनीतिक साझेदारी में तब्दील करने का निर्णय किया.
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मंगोलिया में यूरेनियम और खनिजों का भरपूर भंडार है, ऐसे में वह भारत के साथ असैन्य परमाणु साझेदारी को प्रगाढ़ कर सकता है.
दोनों देशों के बीच सितंबर, 2009 में एक असैन्य परमाणु समझौता हुआ था, हालांकि अब तक उस समझौते पर आंतरिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है जिसके कारण भारत को आपूर्ति भी शुरू नहीं हो सका है.
दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि संयुक्त कार्यदल को आपसी लाभ के नजरिए से भविष्य में दोनों देशों के बीच समन्वयकारी कार्यो की पड़ताल करने के लिए कहा गया है.
संयुक्त बयान में दोनों देशों ने 2021-2022 के लिए यूएनएससी में अस्थाई सदस्यता की दावेदारी के परस्पर समर्थन पर भी सहमति जताई है तथा भारत सरकार ने भी 2016-2018 के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सदस्यता में मंगोलिया की दावेदारी का समर्थन करने की बात कही है.
मंगोलिया के प्रधानमंत्री सेखनबिलग ने स्टेट पैलेस में मोदी के साथ वार्ता के बाद प्रेस को जारी एक बयान में कहा, “हमारे तीसरे और आध्यात्मिक पड़ोसी भारत के साथ हमारे रिश्ते प्रगाढ़ हैं.”
रात्रिभोज के दौरान सेखनबिलग ने कहा, “भौगोलिक दूरी के बावजूद दोनों देश हमेशा से एक दूसरे से बंधे रहे हैं.”
मोदी ने भी सेखनबिलग की भावनाएं दोहराते हुए कहा, “भारतीय और मंगोलियाई नागरिकों ने दुनिया को बताया है कि दिल और दिमाग के संबंधों में दूरी की बाधाओं को खत्म करने की ताकत होती है.”
मोदी ने मंगोलिया की संसद ग्रेट हुराल को संबोधित करते हुए कहा कि मंगोलिया द्वारा भारत को अपना आध्यात्मिक पड़ोसी बताना भारत के लिए गौरव और सम्मान की बात है. मोदी के दौरे के मद्देनजर रविवार को मंगोलिया की संसद को विशेष रूप से खोला गया.
मोदी ने कहा, “भविष्य में अपने संबंधों को मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता की झलक स्वरूप हमने अपनी व्यापक भागीदारी को कूटनीतिक साझेदारी में तब्दील करने का निर्णय लिया है. हम अपने मित्रवत संबंधों और सहयोग से संबंधित संधि के नवीनीकरण के लिए भी सहमत हुए हैं.”
मोदी ने इस दौरान मंगोलिया के नेशनल कैंसर सेंटर को भाभाट्रॉन सौंपा. भाभाट्रॉन एक टेलीकोबाल्ट है जिसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने कैंसर के उपचार के लिए विकसित किया है.
मोदी ने इस बीच अपने चिर परिचित अंदाज में राष्ट्रपति एल्बेगदोर्ज के साथ सेल्फी भी ली, जिन्होंने अपने ट्विट संदेश में भी सेल्फी पोस्ट की.
मोदी चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया, तीन देशों के दौरे पर हैं.