नेपाल को नकद मदद चाहिये
काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल सरकार ने अपील की है कि उन्हें नगद के रूप में मदद दी जाये जिससे उसका हिसाब रखा जा सके तथा पारदर्शिता बनी रहें. भूकंप से तबाह हुये नेपाल के सामने फौरी जरूरत नागरिकों के लिये भोजन, पानी तथा रहने की व्यवस्था करना है. नेपाल सरकार ने दया दिखाने की बजाये सहायता करने पर जोर दिया है. विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से जूझ रहे नेपाल ने पुनर्निर्माण व पुनर्वास के लिए दानकर्ताओं तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से नकद सहायता करने की अपील की है.
25 अप्रैल को आए जोरदार भूकंप के बाद कई झटकों से पूरा देश तबाह हो गया है. इस हादसे में आठ हजार से अधिक लोगों की जान गई है, जबकि संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है.
काठमांडू में शुक्रवार को दानकर्ताओं की बैठक के दौरान नेपाल के वित्त मंत्री राम शरण महत ने दया दिखाने की बजाय नकद सहायता की अपील की.
नेपाल में 25 अप्रैल को आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद तबाही से उबरने के लिए आपदाग्रस्त देश को दो अरब डॉलर की दरकार है. इसके बाद 12 मई को एक बार फिर भूकंप का एक जोरदार झटका आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.3 थी.
महत ने दानकर्ताओं से कहा, “यदि आप नकद सहायता करते हैं, तो इसका हिसाब रखा जा सकता है और इसमें पारदर्शिता बनाए रखना आसान होगा.”
इस बैठक में 35 अंतर्राष्ट्रीय दानकर्ता एजेंसियों तथा दूतावासों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की, जिसमें महत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सरकारी फंड में योगदान करने का अनुरोध किया. नेपाल सरकार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकल खिड़की सरकारी प्रणाली के पालन की अपील कर रही है.
उसी प्रकार, काठमांडू के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे नेपाल के लिए उम्मीद से कम अंतर्राष्ट्रीय मदद मिल रही है.
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र तथा साझेदारों द्वारा 29 अप्रैल को शुरू किए गए 42.3 करोड़ डॉलर की मानवीय अपील की तुलना में आज की तारीख में मात्र 5.95 करोड़ डॉलर की मदद मिल पाई है.
संयुक्त राष्ट्र ने इस पर चुप्पी साध रखी है कि- इसके लिए नेपाल सरकार या खुद संयुक्त राष्ट्र – जिम्मेदार हैं.
नेपाल में मानवीय समन्वयक जैमी मैकगोल्डरिक ने कहा, “यदि हम इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं कर पाए, तो समस्या और गंभीर हो जाएगी.”
मानवीय अपील के बाद फंडिंग के स्तर से यह संकेत मिलता है कि सहायता के प्रति प्रारंभिक एकजुटता में कमी आ रही है, वह भी ऐसे वक्त में जब मानवीय हस्तक्षेप की बेहद दरकार है.
गोल्डरिक ने कहा, “नेपाल के लोगों की तत्काल जरूरत के प्रति प्रतिक्रिया करने की हमारी क्षमता वित्तीय समर्थन पर निर्भर करती है, जो हमारे द्वारा प्रदान किया जाएगी. हम अन्य चुनौतियों खासकर स्थलाकृति से जूझ रहे हैं, लेकिन हम उससे अभिनव तरीके से निपट रहे हैं.”