जीडीपी के आधार पर रेटिंग नहीं: मूडीज
मुंबई | समाचार डेस्क: क्रेडिट रेटिंग करने के लिये मानी जाने वाली मूडीज इन्वेस्टर्स ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत का मूल्यांकन उसके सकल घरेलू उत्पादन के आधार पर नहीं किया जायेगा. इसके बजाये मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि भारत की क्रेडिट रेटिंग राजकोषीय स्थिति तथा सुधारों के आधार पर करेगी. जाहिर है कि इससे इसी सप्ताह देश के आम बजट को पेश करने वाले एनडीए सरकार पर दबाव बनेगा. दरअसल, किसी देश को उधार देने या वहां निवेश करने के पहले उसकी क्रेडिट रेटिंग देखी जाती है.
उल्लेखनीय है कि भारत के सकल घरेलू उत्पादन में अन्य देशों की तुलना में बेहतर बढ़ोतरी हो रही है परन्तु सरकार का राजकोषीय घाटा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. राजकोषीय घाटे को कम करने का तात्पर्य है कि जन सुविधाओं के लिये खर्च की जाने वाली रकम में कटौती करना. अमरीकी रेटिंग कंपनी, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को कहा कि भारत की क्रेडिट रेटिंग का मूल्यांकन देश के राजकोषीय और संरचनागत सुधारों से निर्धारित होगा न कि जीडीपी वृद्धि दर के ताजा रुझान से, जिसे पद्धति एवं आधार वर्ष अपडेट पर आधारित हाल के आंकड़े में ऊध्र्वगामी दिखाया गया है.
एजेंसी ने कहा है, “भारत की संशोधित ऊध्र्वगामी जीडीपी वृद्धि दर पद्धतिसम्मत और अधार वर्ष अपडेट पर आधारित है, जो अर्थव्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करती है, लेकिन संप्रभु भारत के लिए मूडीज के समग्र क्रेडिट मूल्यांकन को प्रभावित नहीं करती.”
मूडीज ने कहा, “इसके बदले राजकोषीय और संरचनागत सुधार से संबंधित नीतियां निर्धारित करेंगी कि किस दर से देश की क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी.”
इस सप्ताहांत में चूंकि भारत आम बजट 2014-15 आ रहा है, लिहाजा इस बात की व्यापक अपेक्षा है कि विनिर्माण क्षेत्र में पूंजीगत खर्च बढ़ाया जाएगा और कर में छूट दी जाएगी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने राजकोषीय घाटा नियंत्रित करने में कठिनाई है, क्योंकि हाल के वर्षो में केंद्र सरकार को जीडीपी की तुलना में प्राप्त हुए राजस्व प्रतिशत में लगातार गिरावट आई है.
वर्ष 2007-08 में कर राजस्व जीडीपी का 11.9 फीसदी था. वर्ष 2013-14 में यह गिरकर जीडीपी का 10 फीसदी हो गया. वर्ष 2014-2015 में इसके गिरकर 9.6 फीसदी होने की संभावना है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बजट को नरेंद्र मोदी सरकार की अब तक की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए सोमवार को कहा था कि देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के नए अनुमान देश को दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं.
मुखर्जी ने बजट सत्र के पहले दिन संसद की संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था, “नए अनुमानों के अनुसार हमारी जीडीपी बढ़कर 7.4 फीसदी हो रही है, जो भारत को दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बनाती है.”
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने पिछले सप्ताह 2014-2015 के लिए 7.4 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था, जोकि वर्ष 2013-2014 में 6.9 फीसदी था.