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राहुल का आत्मचिंतन?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राहुल गांधी के आत्मचिंतन पर भाजपा ने चिंतन करना शुरु कर दिया है. ऐसा जाहिर होता है कि भाजपा वास्तव में राहुल गांधी को ही कांग्रेस का नेता मानती है तभी तो बजद सत्र के समय छुट्टी लेने पर उन पर ताना कसा जा रहा है. अन्यथा सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. हाल के समय में कांग्रेस के लगातार हार के कारण पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी यदि चिंतन करना चाहते हैं तो इससे भाजपा का चिंतित होना उनका राहुल गांधी के सदन में उपस्थिति को नेता की मान्यता देने के समान है. कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को बजट सत्र के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के छुट्टी पर जाने की जानकारी दी और कहा कि वह हाल के चुनावों में पार्टी की हार पर चिंतन करने और भविष्य का खाका तैयार करने के लिए छुट्टी पर गए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने बजट सत्र के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अवकाश पर जाने पर उनकी आलोचना की.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संवाददाताओं के साथ संक्षिप्त बातचीत में कहा, “उन्हें कुछ सप्ताह का समय दिया गया है. उन्हें कुछ समय की आवश्यकता थी.”

सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पार्टी से आग्रह किया था कि उन्हें हाल के दिनों में पार्टी की हार और उसके भविष्य पर गहन चिंतन करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता है. पार्टी के लिए और आने वाली एआईसीसी की बैठक के लिए यह आत्मचिंतन बहुत जरूरी है.”

उन्होंने कहा, “एआईसीसी का सत्र बहुत महत्वपूर्ण है और राहुल गांधी इसके लिए अपना खाका पेश करेंगे. इसीलिए उन्हें छुट्टी दी गई है. छुट्टी के बाद वह सक्रिय भागीदारी निभाएंगे.”

एक सूत्र ने कहा कि वह कितने समय तक अनुपस्थित रहेंगे, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. इस बात की भी जानकारी नहीं है कि राहुल गांधी छुट्टी पर कहां गए हैं. समाचार चैनल ‘टाइम्स नाउ’ द्वारा जारी एक रपट के मुताबिक, राहुल गांधी पिछले हफ्ते बैंकाक गए थे.

राहुल की छुट्टियों को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई सफाई सत्ताधारी दल के गले नहीं उतरी.

राहुल पर हमला बोलते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा, “इससे कांग्रेस पार्टी की गंभीरता जाहिर होती है. वह बजट सत्र के दौरान छुट्टी मनाने गए हैं.”

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल के छुट्टी लेने के समय पर उनकी बुद्धिमानी पर सवाल उठाते हुए कहा, “विपक्ष के सबसे महत्वपूर्ण दल के सबसे प्रमुख नेता की संसद में उपस्थिति और उनके द्वारा किसी मुद्दे पर बहस से चर्चा का एक अलग ही स्तर होता.”

संसद का बजट सत्र सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया. बजट सत्र से राहुल गांधी की अनुपस्थिति बहुत मायने रखती है, क्योंकि इस सत्र में छह अध्यादेशों को लेकर संसद का माहौल गर्म रहने की संभावना है. इन अध्यादेशों में विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक भी शामिल है.

कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा, “राहुल गांधी संसदीय दल में कोई पदाधिकारी नहीं है. इसलिए सदन में कांग्रेस का काम बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा.”

इसी तरह के विचार लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने व्यक्त किया और कहा कि कांग्रेस सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में काम करेगी.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का बचाव करते हुए कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, “पिछले सत्र में वह नियमित रूप से शामिल हुए थे. वह सदन में हमेशा नियमित रूप से शामिल होते हैं. अभी वह कुछ जरूरी काम से कहीं गए हुए हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि मामले को आवश्यकता से अधिक तूल दिया जाना चाहिए.”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, “राहुल को अवकाश लेना चाहिए या नहीं, मैं इस पर कुछ नहीं बोलूंगा. लेकिन सच्चाई यह है कि सांसद होने के नाते सदन में उपस्थित रहना हमारा कर्तव्य है. इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि यह भूमि अधिग्रहण या अन्य विधेयक का मामला है, यह हमारा कर्तव्य है कि हम सदन में उपस्थित हों और चर्चा करें.”

2014 के आम चुनाव के बाद से लगातार पांचवीं यानी हाल में संपन्न दिल्ली चुनाव में हुई हार ने साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की किस्मत को सुधारने की चुनौती पेश कर दी है.

पार्टी का वोट-प्रतिशत 2013 के बाद से लगातार गिर रहा है, जिसमें 24 फीसदी की गिरावट आई है. 2014 के आम चुनाव में यह 15 फीसदी और गिरा तथा दिल्ली चुनाव में इसे 9.7 फीसदी मत मिला.

कांग्रेस के हजारों पारंपरिक समर्थक राष्ट्रीय राजधानी में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ चले गए.

कभी देश के सभी राज्यों में शासन कर चुकी कांग्रेस मौजूदा समय में सिर्फ असम, केरल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में है.

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