‘दिलदार’ डग्गूबाती रामानायडू नहीं रहे
हैदराबाद | मनोरंजन डेस्क: ‘मूवी मुगल’ के नाम से परिचित तथा दादासाहेब फाल्के व पद्मभूषण पुरस्कार विजेता विख्यात तेलुगू फिल्म निर्माता डी. रामानायडू ने 79 साल की उम्र देहांत हो गया. रामानायडू को अधिकांश भारतीय भाषाओं में फिल्में बनाने का श्रेय जाता है. उनके निधन ने भारतीय फिल्म उद्योग को निस्तब्ध छोड़ दिया है. दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता और पद्म भूषण रामानायडू के प्रचारक ने कहा कि उनका गुरुवार दोपहर अंतिम संस्कार किया जाएगा.
रामानायडू के प्रचारक ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करा रहे रामानायडू का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रामारायडू स्टूडियो में स्थानांतरित किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश वाणिज्य फिल्म चैंबर में गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को ले जाया जाएगा,जहां पर आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और फिर उनके पार्थिव शरीर को दोबारा से स्टूडियो लाया जाएगा, जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
रामारायडू के निधन से पूरे फिल्म जगत में उदासी फैली हुई है. कई मशहूर हस्तियों ने ट्विटर के माध्यम से उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी.
मोहन बाबू ने ट्विटर पर लिखा, “महान निर्माताओं में से एक डॉक्टर रामानायडू गारू की आत्मा को शांति मिले. वह कई निर्माताओं के लिए एक प्रेरणा थे और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा. यह खबर निराश करने वाली है.”
वहीं देवी प्रसाद ने लिखा, “दिग्गज फिल्म निर्माता रामानायडू गारू के निधन की चौंकानेवाली खबर पर भरोसा नहीं कर पा रहा हूं. वह एक दिशा दिखाने वाले और फिल्म जगत के लिए प्रेरणा थे. ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे.”
रामानायडू के निधन पर शोक जताने वालों में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ई.एस.एल नरसिम्हन और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शोक व्यक्त किया.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दिग्गज निर्माता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया. वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तेलुगू फिल्म उद्योग के हैदराबाद स्थानांतरित करने में रामानायडू की भूमिका को याद किया.
छह जून, 1936 को जन्मे रामानायडू ने 1963 में तेलुगू फिल्म ‘अनुरागम’ से बतौर सह-निर्माता अपना करियर शुरू किया. उसके अगले साल उन्होंने तेलुगू फिल्म ‘रामुडू भीमुडू’ से फिल्म निर्माता के रूप में अपनी पारी शुरू की.
उन्होंने रामानायडू कलर लैब और सिने विलेज के बाद 1989 में रामानायडू स्टूडियो लांच किया.
अपने पांच दशकों से लंबे करियर में उन्होंने 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में 130 से ज्यादा फिल्में बनाईं.
हिंदी में उन्होंने ‘प्रेम नगर’, ‘दिलदार’, ‘मकसद’, ‘इंसाफ’, ‘तोहफा’, ‘अनाड़ी’ और ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ सरीखी फिल्में बनाईं.
रामानायडू ने तमिल, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, पंजाबी व अंग्रेजी भाषा में भी फिल्में बनाईं.
रामानायडू को नंदी व फिल्मफेयर पुरस्कारों के अलावा 2009 और 2012 में क्रमश: दादासाहेब फाल्के व पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1999 और 2004 के बीच वह तेलुगू देशम पार्टी से जुड़े.
रामानायडू के परिवार में बेटे सुरेश बाबू व वेंकटेश डग्गूबाती और पोते राणा व नागा चैतन्य हैं.