शिवराज के सियासत में व्यापमं का बवंडर
भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश की सियासत में व्यापमं की परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े के मामले पर एक एक्सेलशीट को सार्वजनिक कर विपक्षी कांग्रेस ने बवंडर खड़ा कर दिया है. नए बखेड़े ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार से जुड़े लोगों को कटघरे में ला दिया है.
राज्य में प्रवेश और नौकरी भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में हुआ घोटाला अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है. व्यापमं द्वारा संचालित पीएमटी, आरक्षक, पटवारी, शिक्षक, परिवहन आरक्षक, सब इंस्पेक्टर सहित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां होने की बात पहले ही सामने आ चुकी है.
वर्तमान में उच्च न्यायालय के निर्देश पर विशेष जांच दल की देखरेख में विशेष कार्यदल जांच कर रहा है. अब तक राज्य सरकार में मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा सहित व्यापमं के कई वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी सहित कई दलों के नेता व भर्तियां कराने वाले सरगना इन दिनों सलाखों के पीछे हैं.
सुशासन के ढिंढोरे के बीच कांग्रेस व्यापमं फर्जीवाड़े में मुख्यमंत्री चौहान और उनके परिवार के शामिल होने का आरोप यूं तो लगातार लगाती रही है, मगर सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक शपथपत्र के साथ एसआईटी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंपकर इस मामले को फिर हवा दे दी है.
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह का आरोप है कि एसटीएफ ने मुख्यमंत्री को बचाने के लिए एक्सेलशीट से छेड़छाड़ की हैं. इस एक्सेलशीट में जहां सीएम खिला था उसे बदलकर कई स्थान पर उमा भारती व राजभवन लिखा गया या खाली छोड़ दिया गया है.
कांग्रेस नेता के इस आरोप के बाद राज्य की सियासत में हलचल मच गई है. चौहान ने कांग्रेस के आरोपों को साफ तौर पर नकारा है, उनका कहना है कि यह आरोप असत्य और झूठे हैं. कांग्रेस पहले भी झूठे आरोप लगा चुकी है, यही कारण है कि उसे उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय से भी निराशा हाथ लगी है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज ने पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा जारी दस्तावेजों को गंभीर मामला बताते हुए कहा है कि इन दस्तावेजों की प्रमाणिकता की जांच होना चाहिए, इसके बाद भी सरकार एसआईटी की आड़ में खड़े रहने की कोशिश करती है, तो साफ हो जाएगा कि सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है.
राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस के इस नए खुलासे से राजनीतिक तौर पर कांग्रेस को कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, क्योंकि राज्य में कोई चुनाव नहीं है. बीते 10 वर्षो में हुए हर चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है.
हां, इससे मुख्यमंत्री चौहान की छवि को कुछ नुकसान जरूर हो सकता है. इतना ही नहीं, पार्टी के भीतर जो लोग चौहान के खिलाफ मुहिम चलाते रहते हैं उन्हें भी इससे कुछ मदद मिल सकती है.
व्यापमं के घोटाले को लेकर कांग्रेस द्वारा लगाए गए नए आरोप से राजनीतिक लाभ भले ही किसी को हो, मगर इन आरोपों ने राज्य में नई बहस को जन्म दे दिया है.