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नक्सलियों और पुलिस अधिकारियों में सांठगांठ

बिलासपुर | विशेष संवाददाता:छत्तीसगढ़ में नक्सलियों और पुलिस अधिकारियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुये हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. सरगुजा में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से बतौर एसपीओ काम करने वाले एक युवक की इस याचिका पर बंद कमरे में सुनवाई हुई. इसके बाद जस्टिस सतीश अग्निहोत्री ने राज्य शासन को इस मामले में 3 सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने को कहा है.

याचिका में सरगुजा में बतौर एसपीओ काम करने का दावा करने वाले युवक ने आरोप लगाया है कि उस इलाके में नक्सलियों के उन्मूलन के लिये उसने बरसों काम किया है. उसने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. लेकिन कुछ समय पहले उसे पता चला कि पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों और नक्सलियों के बीच सांठगांठ हैं. युवक का आरोप है कि उसने इस सांठ-गांठ से संबंधित आवश्यक सबूत एकत्र किये और केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को इस संबंध में पत्र लिख कर सूचना दी.

इस युवक ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि पत्र लिखने के बाद से उसे पुलिस के अधिकारियों ने धमकी देना शुरु कर दिया और दूसरी ओर नक्सलियों ने भी उस पर हमला किया. लेकिन नक्सलियों और पुलिस अधिकारियों के बीच की सांठगांठ के खिलाफ उसने अपनी लिखा-पढ़ी जारी रखी. जब याचिकाकर्ता को अपनी जान का खतरा लगा तो उसने अदालत की शरण ली. याचिकाकर्ता ने अदालत से पूरे मामले की सीबीआई या स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग करते हुये कहा कि जरुरत पड़ने पर याचिकाकर्ता पुलिस और नक्सलियों की सांठगांठ से संबंधित सबूत और दस्तावेज भी पेश करने को प्रतिश्रुत है.

पुलिस के आला अधिकारियों के खिलाफ इस सनसनीखेज आरोप को लेकर याचिकाकर्ता के वकील सतीश चंद्र वर्मा ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा के मद्देनजर अदालत से मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुये मामले की बंद कमरे में सुनवाई की.

मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की पीठ ने 3 सप्ताह के भीतर पुलिस प्रशासन के न्यूनतम आईजी स्तर के अधिकारी से इस मामले में शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया है. इसके अलावा अदालत ने याचिकाकर्ता को तत्काल पर्याप्त सुरक्षा मुहैय्या करने का आदेश दिया है.

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