गैंगरेप की राजधानी दिल्ली और दुर्ग…
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: दिल्ली में बलात्कार की तीन ताजा घटनाओं के बाद उसे गैंग रेप की राजधानी का विशेषण भले मिल गया हो, हकीकत ये है कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ का दुर्ग जिला बलात्कार के मामले में सबसे बदनाम है. राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो दिल्ली के आंकड़े बताते हैं कि वहां की आबादी के अनुसार प्रति एक लाख की आबादी में 2.8 बलात्कार के मामले सामने आये हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में यह आंकड़ा 5.7 का है.
अगर आंकड़ों की बात करें तो जो मामले थाने तक पहुंच कर पंजीबद्ध हो पाते हैं, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ में हर दिन बलात्कार के लगभग तीन मामले सामने आते हैं. छत्तीसगढ़ में 2011 में 1053 महिलाओं के साथ रेप के मामले सामने आये थे और महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ जैसे तमाम अपराधों की संख्या 4219 थी.
बलात्कार के इन भयावह आंकड़ों से भी कहीं अधिक भयावह है, बलात्कार के मामलों की अदालत में सुनवाई. जिन्हें आम तौर पर अदालतों में पालन किया ही नहीं जा रहा. पंजाब राज्य बनाम गुरमीत सिंह का 16 जनवरी 1996 का फैसला और 26 मई 2004 को साक्षी बनाम भारत सरकार का जो फैसला है, उसके निर्देश ताक पर रख दिये गये हैं.
इन फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि बलात्कार के मामले की सुनवाई बंद कमरों में महिला जज द्वारा की जाये. किसी भी परिस्थिति में 20 दिन के भीतर मामले की जांच हो और दो महीने में आरोप पत्र पेश कर दिये जायें. लेकिन अधिकांश मामलों में इनमें से किसी भी दिशा-निर्देश का पालन नहीं होता. हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता मीना शास्त्री और जे के शास्त्री ने एक याचिका दायर कर इन निर्देशों के अनुपालन की मांग की है.