उनका फलसफा ‘जो बीत गई सो..’, अमिताभ
नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: अमिताभ बच्चन ने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता को सुनाते हुए कहा कि बाबू जी का फलसफा था कि ‘जो बीत गई सो बात गई’. अमिताभ बच्चन को आज भी इस बात का मलाल है कि वे अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के साथ ज्यादा व्यक्त नही कर सकें थे. महानायक अमिताभ बच्चन का कहना है कि उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्हें अपने पिता दिवंगत हरिवंशराय बच्चन के फलसफे और भावनाओं को समझने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला. अमिताभ ने शनिवार को ‘एजेंडा आज तक’ के एक सत्र में कहा, “मेरे खयाल से मैंने अपने पिता के साथ जो समय बिताया, वह काफी नहीं था. वह बहुत व्यस्त व्यक्ति थे. काश मैं उनके विचारों को समझ पाने के लिए उनके साथ थोड़ा और समय बिता पाता.”
अमिताभ ने बाप-बेटे के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका अपने पिता के साथ बहुत अलग रिश्ता था, वैसा रिश्ता बेटे अभिषेक के साथ नहीं है.
72 वर्षीय अमिताभ ने कहा कि हालांकि, उनकी पिता से बहुत कम बातचीत होती थी, लेकिन धीरे-धीरे उनका रिश्ता मजबूत हो गया.
उन्होंने कहा, “वह बहुत कड़क मिजाज के पिता थे. वह ज्यादा बात नहीं करते थे. लेकिन समय और उम्र के साथ हमने एक-दूसरे को समझना शुरू कर दिया और हमारा रिश्ता मजबूत बन गया.”
हरिवंश राय बच्चन की कविता-
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई.
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई.
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई.
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई.