आर्थिक विकास के लिये नई संस्था: मोदी
नई दिल्ली | एजेंसी: देश के आर्थिक विकास को जारी रखने के लिये पीएम मोदी नई संस्था के पक्ष में हैं. रविवार को देश के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक में जिसमें योजना आयोग के नये स्वरूप पर चर्चा हुई उन्होंने इसके विकल्प के बारें में बताया. हालांकि गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने वर्तमान योजना आयोग के खात्में पर हामी नहीं भरी है परन्तु इसके बाद भी प्रधानमंत्रई मोदी विकास के लिये टीम इंडिया के गठन की ओर अग्रसर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की जगह पर वैकल्पिक संस्था की वकालत करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति में अधिक प्रभावी तथा प्रासंगिक रहने के लिए योजना आयोग के बदले एक नए संस्थान को लाना होगा, ताकि देश की ताकत का उपयुक्त ढंग से लाभ उठाया जा सके और वर्तमान परिदृश्य में भारत को एक लंबी छलांग लगाने का अवसर दे सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां मुख्यमंत्रियों के साथ परामर्श बैठक के दौरान कहा कि योजना आयोग की जगह एक ऐसा संगठन लाया जाना चाहिए, जिसकी सोच सृजनात्मक हो, संघीय संरचना को मजबूत कर सके और राज्य स्तर पर शासन को ऊर्जान्वित कर सके.
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सरकार की प्राथमिकता में विकास को शीर्ष पर रखते हुए एक नई संरचना विकसित करने की जरूरत बताई गई, जो प्रगति तथा विकास के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद कर सके.
मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के आखिर में योजना आयोग पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया था.
मनमोहन सिंह ने कहा था, “भारत की विकासगाथा प्रगति पर है. इस कहानी में योजना आयोग ने अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, लेकिन अभी काफी दूरी तय करनी है.”
बैठक में उन्होंने योजना आयोग की जगह नई संस्था बनाने को लेकर राज्यों द्वारा दिए महत्वपूर्ण सुझावों पर संतुष्टि जताई.
प्रधानमंत्री ने कहा, “योजना आयोग की भूमिकाएं, प्रासंगिकता और पुर्नसरचना पर दो दशकों से बार-बार सवाल उठाए जाते रहे हैं. पहली बार पुनरावलोकन 1992 में आर्थिक सुधारों के आरंभ पर किया गया था, जब यह महसूस किया गया कि सरकार की बदलती नीति के मद्देनजर अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि 2012 में संसदीय सलाहकार समिति ने कहा था कि योजना आयोग पर गंभीर रूप से पुनर्विचार करने और इसके स्थान पर नई संस्था बनाने की आवश्यकता है. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के आखिर में योजना आयोग पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया था.
मोदी ने कहा, “गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने योजना आयोग की बैठक में भाग लेते हुए महसूस किया था कि राज्यों के विचारों को समाहित करने के लिए बेहतर मंच की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विकास अब हर किसी की प्राथमिकता है तथा आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए नई व्यवस्था विकसित करने का समय आ गया है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब तक राज्यों को विकसित नहीं किया जाता, राष्ट्र को विकसित करना असंभव है. ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक बदलाव के लिए भी नीतिगत प्रक्रिया की योजना बनाने की जरूरत है.”
मोदी ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने, राज्यों को सशक्त बनाने और सरकार के बाहर होने वाली गतिविधियों सहित सभी आर्थिक गतिविधियों को मुख्यधारा में लाने के लिए नई व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है.
बैठक में भाग लेने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “एक केंद्रीय संरचना के बदले अधिकांश राज्य एक वैकल्पिक संरचना की जरूरत महसूस करते हैं, जिसमें केंद्र, राज्य तथा विशेषज्ञों की भागीदारी हो.”
उन्होंने कहा, “कुछ देशों जैसे अमरीका में सरकार से स्वतंत्र रूप में काम करने वाले थिंक टैंकों का नीति-निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है.”
वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वह राज्य के विचारों को समाहित करने के लिए एक बेहतर मंच की जरूरत महसूस करते थे.”
वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी के मुताबिक, नीतिगत प्रकिया की योजना बनाने के लिए ऊपर से नीचे तथा नीचे से ऊपर तक बदलाव करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, “कुछ देशों जैसे अमरीका में सरकार से स्वतंत्र रूप में काम करने वाले थिंक टैंकों का नीति-निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है.” वित्त मंत्री अरुण जेटली की बातों से स्पष्ट है कि मोदी सरकार नीतिगत प्रक्रिया की योजना बनाने के लिये बड़े बदलाव करने जा रही है.