छत्तीसगढ़

रायपुर से ही लौट जाएंगे राजनाथ

रायपुर | संवाददाता: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह रायपुर से ही लौट जाएंगे. केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद यह माओवादियों का पहला बड़ा हमला है, इसलिये राज्य से लेकर केंद्र तक इस हमले की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई है.

सोमवार की रात राजनाथ सिंह ने कहा कि वे रात को ही रायपुर जाना चाह रहे थे लेकिन फ्लाइट कनेक्टिवीटी के कारण उन्होंने सुबह आने की योजना बनाई. सोमवार को घोषणा की गई थी कि राजनाथ सिंह घटनास्थल चिंतागुफा के इलाके तक जाएंगे. इसके बाद उनके सुकमा जाने की घोषणा की गई. अब तय हुआ है कि राजनाथ सिंह सुरक्षागत कारणों से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से ही दिल्ली लौट जाएंगे. सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह सुकमा तक जाना चाहते थे लेकिन उन्हें बतया गया कि जवानों के शव और घायल जवान रायपुर ही लाये जा रहे हैं. इसके बाद गृहमंत्री के सुकमा जाने की योजना टल गई.

गौरतलब है कि सोमवार को बस्तर के सुकमा में माओवादियों के हमले में सीआरपीएफ के 14 जवान मारे गए हैं. मारे जाने वालों में दो अधिकारी भी शामिल हैं.

इस हमले में घायल लगभग एक दर्जन से अधिक सीआरपीएफ के जवान सुबह तक चिंतागुफा और सुकमा में ही फंसे हुये थे और उन्हें केवल प्राथमिक उपचार ही मिल पाया था. मंगलवार की सुबह वहां से हेलिकॉप्टर की मदद से जगदलपुर और राजधानी रायपुर लाने की कवायद शुरु हुई. इसके अलावा इस हमले में मारे गये सीआरपीएफ जवानों के शव भी रायपुर लाने की शुरुआत हो गई है.

इससे पहले कल देर रात को राजधानी रायपुर की आपात बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह माओवादियों की हताशा का परिणाम है. वहीं राज्य के पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय ने कहा है कि बस्तर के इलाके में चल रहा पुलिस का अभियान और तेज़ होगा.

इधर पुलिस अधिकारियों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार मंगलवार की सुबह होने के साथ ही सुकमा के इलाके में सुरक्षाबलों का एक बड़ा ऑपरेशन शुरु किया गया है. इस ऑपरेशन के लिये पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडीशा से भी मदद ली जा रही है.

इस पूरे हमले को लेकर जो बात प्रमुखता से सामने आ रही है, उसमें कहा जा रहा है कि पिछले 6 महीनों में बस्तर में कथित माओवादी आत्म समर्पण की घटनाओं से माओवादी परेशान थे. इन छह महीनों में 300 से अधिक माओवादियों ने इस दौरान आत्मसमर्पण किया है. ऐसे में राज्य के पुलिस अधिकारी लगातार दावा कर रहे थे कि माओवादी संगठन अब जल्दी ही खत्म हो जाएगा. ताज़ा माओवादी हमले को पुलिस के ऐसे ही दावों से उबरने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

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