नेपाल: नमो-नवाज़ में ‘शीतयुद्ध’
काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल सार्क सम्मेलन में मोदी तथा नवाज़ शरीफ ने एक दूसरे को नज़रअंदाज किया. जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने भाषण देना शुरु किया उस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सामने रखे एक किताब को पढ़ने में व्यस्त थे. दूसरी तरफ जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्क सम्मेलन को संबोधित किया उस समय नवाज़ शरीफ दूसरी तरफ देख रहें थे. बुधवार को सार्क सम्मेलन के शुरुआत के दिन दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच का शीत युद्ध साफ नजर आ रहा था. एक ही मंच पर बैठे रहने के बावजूद मोदी ने पाक प्रदानमंत्री नवाज़ को तव्वजो नहीं दी. राजनयिक हल्कों में चर्चा है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को शाम चार बजे तक की समय सीमा पाकिस्तान को दी थी कि वह अपने यहां से चल रहे आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाये तथा अलगाववादियों से बात करने से अपने को पृथक करें. जाहिर है कि पाकिस्तान ने मोदी के इस प्रस्ताव का सकारात्मक जवाब नहीं दिया.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने भारत द्वारा शुरू किए जा रहे तीन दक्षेस संपर्क परियोजनाओं को अवरुद्ध कर दिया. 18वां दक्षेस शिखर सम्मेलन की तीन परियोजनाएं-बिजली का एक ग्रिड तथा बिजली व्यापार, सड़क एवं रेल संपर्क पर मामला अटक गया. पाकिस्तान ने कहा कि उसने इन परियोजनाओं को लेकर अभी आंतरिक प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया है.
सम्मेलन के दौरान मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना तथा भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग टोबगे से मुलाकात की. उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे तथा मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन से मुलाकात की. लेकिन उनकी बैठकों की सूची में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम कहीं नजर नहीं आया.
भारत के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, “दोनों नेताओं के मिलने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से हमें कोई अनुरोध नहीं मिला है.”
अटकलें हैं कि सम्मेलन के समापन समारोह के मौके पर दोनों नेता मिल सकते हैं.
नेपाल के विदेश मंत्री खागनाथ अधिकारी ने कहा, “हमारा आखिरी प्रयास गुरुवार तक जारी रहेगा. हम सम्मेलन में ऊर्जा से संबंधित एक समझौता करना चाहते हैं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2008 मुंबई हमले की भयावहता को याद किया और आतंकवाद तथा अंतर-देशीय अपराधों के खिलाफ लड़ने की जरूरत पर बल दिया.
मोदी ने सम्मेलन के दौरान कहा, “आज, हम 2008 के मुंबई हमले की भयावहता को याद कर रहे हैं, हम घटना में हुई मौतों पर दुख महसूस कर रहे हैं, जो कभी खत्म नहीं होने वाला है.”
उन्होंने कहा, “आइए, हम आतंकवाद और अंतर-देशीय अपराध के खिलाफ लड़ने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए साथ मिलकर काम करें.”
अपने पहले भाषण में मोदी ने दक्षेस राष्ट्रों से निराशावाद को आशावाद में बदलने का आग्रह किया और कहा कि आज का समय केवल पास-पास का नहीं, बल्कि साथ-साथ का भी है.
उन्होंने इस क्षेत्र में निर्बाध संपर्क पर जोर दिया और बिजली व्यापार के लिए प्रस्ताव दिया. उन्होंने रेल, सड़क तथा हवाई संपर्क सेवा पर भी जोर दिया.
उन्होंने कहा कि दक्षेस के लिए भारत 3-5 वर्षो का व्यापार वीजा दे रहा है. साथ ही उन्होंने दक्षेस व्यापार यात्री कार्ड भी जारी किया.
स्वास्थ्य सेवा के संबंध में उन्होंने कहा कि क्षय रोग तथा एचआईवी के लिए सार्क रिजनल सुप्रा रेफरेंस लेबोरेटरी की स्थापना में भारत धन की कमी को पूरा करेगा. दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए उन्होंने फाइव इन वन टीके का भी प्रस्ताव दिया.
मोदी ने कहा कि हमें अपने उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के बीच की दूरी कम करनी होगी तथा व्यापार का सबसे सीधा रास्ता चुनना होगा.” भारतीय बाजार के लिए उत्पादन तथा रोजगार सृजन के लिए उन्होंने दक्षेस के सात अन्य देशों से भारत में निवेश का आग्रह किया.
वहीं पाकिस्तान ने मंगलवार को दक्षेस विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान संगठन में चीन तथा दक्षिण कोरिया की स्थिति को भी रखने का विचार रखा, लेकिन भारत ने इससे इंकार करते हुए कहा कि पहले अंतर-दक्षेस संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है. जाहिर है कि पाकिस्तान, चीन को दक्षेस में शामिल कर भारत विरोधी गुट बनाना चाहता है जिसे मोदी ने सिरे से खारिज़ कर दिया. जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ बाहर निकल रहे थे तब संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि क्या उनकी मोदी से मिलने की कोई संभावना है तो उन्होंने इसका उत्तर न देकर अपने अड़ियल रुख का प्रदर्शन किया.
नेपाल में चल रहे दक्षेस देशों के 18वें सम्मेलन में पहले दिन भारत के प्रधानमंत्री मोदी तथा पाक प्रधानमंत्री नवाज़ के बीच चल रहे शीत युद्ध पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी. खासकर बंग्लादेश की प्रदानमंत्री शेख हसीना इसे बड़े गौर से देख रही थी.