कालेधन के खिलाफ जी-20 एकजुट
ब्रिस्बेन | एजेंसी: भारत के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासो के चलते जी-20 के देश कालेधन की खिलाफत करने को एकजुट हो गये हैं. जी-20 के देशों में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये समझदारी बनी है जो 2017-18 तक लागू हो जायेगी. जी-20 के देशों के बीच कालेधन पर सूचना के आदान-प्रदान शुरु हो जाने के बाद कालेधन पर कार्यवाही करना आसान हो जायेगा. उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने शुरु से ही कालेधन के खिलाफ देश में मुहिम छेड़ रखी है जिसे जी-20 के माध्यम से उन्होंने वैश्विक बनाने की पहल की है. जी-20 देशों के नेताओं ने रविवार को कालेधन और कर चोरी से संबंधित भारत की चिंताओं से सहमति जताई और वैश्विक कर नियमों का आधुनिकीकरण करने और 2018 के अंत तक कर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की प्रणाली बनाने का वादा किया. भारत सरकार ने जी-20 के इस समर्थन को अप्रत्याशित सफलता करार दिया.
मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे एवं अंतिम दिन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से मिलजुल कर नीति तैयार करने का आग्रह किया और कहा कि यह न सिर्फ काले धन की चुनौती के लिए, बल्कि सुरक्षा से संबंधित मुद्दों, मादक पदार्थो एवं हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भी बेहद आवश्यक है.
मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में ‘वैश्विक आर्थिक लचीलापन अपनाना’ विषय पर आयोजित सत्र में सूचनाओं के आदान-प्रदान की एक नई वैश्विक स्वचालित प्रणाली का समर्थन किया और कहा कि यह विदेशों में छुपाए गए काले धन से संबंधित गुप्त सूचनाएं मुहैया कराएगा और धन को वापस स्वदेश लाने में मददगार होगा.
जी-20 के संयुक्त घोषणा पत्र में सदस्य देशों के नेताओं ने कहा, “हम अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों के आधुनिकीकरण के लिए जी-20 आर्थिक सहयोग और विकास संगठन कार्ययोजना की उल्लेखनीय प्रगति का स्वागत है.”
घोषणा पत्र के मुताबिक नेताओं ने कहा, “हम इसे 2015 में पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें करदाताओं से संबंधित नियमों की पारदर्शिता भी शामिल है, जिसे अवैध कर गतिविधियों का जिम्मेदार पाया गया है.”
घोषणा पत्र में कहा गया है, “सीमा के आर-पार कर चोरी रोकने के लिए हम वैश्विक सामान्य रिपोर्टिग मानक का समर्थन करते हैं ताकि पारस्परिक आधार पर कर सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान हो सके.”
घोषणा पत्र के मुताबिक, “आवश्यक विधायी प्रक्रिया पूरी हो गई, तो हम 2017 तक या 2018 के अंत तक आपस में सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान करने लगेंगे.”
रेल मंत्री और जी-20 में मोदी के शेरपा सुरेश प्रभु और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बैठक के नतीजे को अप्रत्याशित सफलता करार दिया.
अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा, “घोषणा पत्र के अनुसार, हमने अपने सभी लक्ष्यों को काफी हद तक और जबर्दस्त ढंग से पा लिया है.”
घोषणा पत्र जारी होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा, “काले धन और कर चोरी पर भारत की चिंताओं को समर्थन मिला और जी-20 घोषणा पत्र में इसे जगह मिली.”
अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया, “जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत को सफलता मिली है. कर के मामले में प्रधानमंत्री के विचार को अंतिम घोषणा पत्र में समर्थन मिला है.”
जी-20 भारत और अन्य विकासशील देशों की चिंताओं पर विचार कर रहा है और धन भेजने में वैश्विक औसत खर्च को पांच फीसदी तक घटाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने का वादा किया गया है.
जी-20 देश
बीस वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह, जो कि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रीयों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स का एक संगठन है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. जिसका प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया है. इसके सदस्य देश हैं-दक्षिणअफ़्रीका,कनाडा,मेक्सिको,अमरीका,अर्जेण्टीना,ब्राज़ील,चीन,जापान,दक्षिण कोरिया,भारत, इंडोनेशिया,सउदी अरब,रूस,तुर्की,यूरोपीय संघ,फ़्रान्स,जर्मनी,इटली,ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम.