नसबंदी कांड: डाक्टर गिरफ्तार
बिलासपुर| बीबीसी: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसबंदी के बाद बीमार हुई महिलाओं की मौत का आंकड़ा बढ़कर 15 हो गया है जबकि मुख्य अभियुक्त डॉक्टर आरके गुप्ता को बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया गया.
बिलासपुर के अलग-अलग अस्पतालों में अब भी 92 महिलाएं भर्ती हैं.
राज्य सरकार ने बिलासपुर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती महिलाओं की गंभीर हालत को देखते हुए एयर एंबुलेंस का भी इंतजाम किया है. इसके अलावा वेंटिलेटर समेत दूसरी ज़रूरी सुविधाओं में भी इजाफा किया गया है.
चिकित्सकों का कहना है कि कुछ महिलाओं में ‘मल्टीपल आर्गेन फेल्यर’ यानी शरीर के कई अंगों के निष्क्रिय होने के मामले भी देखे जा रहे हैं.
हादसे में मारी गई महिलाओं की संक्षिप्त पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है लेकिन इसमें मौत के ठीक-ठीक कारण अब भी स्पष्ट नहीं हो पाए हैं.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “शुरुआती तौर पर इस पूरे हादसे के लिए खराब दवाइयों को जिम्मेदार माना जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जिकल इंफ़ेक्शन से इतनी जल्दी मौत नहीं हो सकती. यही कारण है कि हमने राज्य में उन छह दवाइयों और सामग्रियों को प्रतिबंधित कर दिया है, जिनका इस्तेमाल इन शिविरों में किए जाने की बात सामने आई है.”
दवाओं की खरीदारी
महत्वपूर्ण बात ये है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दवा खरीद का काम करने वाले छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कारपोरेशन लिमिटेड की जिम्मेदारी किसी विशेषज्ञ या डाक्टर के पास नहीं, भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी के ज़िम्मे है.
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कारपोरेशन लिमिटेड टेंडर जारी कर सबसे कम कीमत वाली दवाई खरीदती रही है.
दवा खरीद का आलम ये है कि कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने के लिये कई बार पांच-पांच साल की दवा का स्टॉक एक ही बार में खरीद लिया जाता है.ताज़ा मामले में यह जानकारी भी सामने आई है कि पेंडारी नसबंदी कैंप के लिए दवाओं की लोकल परचेजिंग यानी स्थानीय खरीद की गई थी.
दवाओं की इस खरीदारी का ज़िम्मा एक ऐसे व्यक्ति के पास है, जिनके पास फॉर्मासिस्ट की न तो डिग्री है और न ही विशेषज्ञता. मूल रूप से कंपाउंडर का काम करने वाले के पास ही पिछले 10 सालों से स्थानीय खरीदारी का प्रभार है.
मानवाधिकार आयोग
नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं की लगातार मौत पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वतः संज्ञान लिया. जस्टिस टीपी शर्मा और इंदरसिंह उबोवेजा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद केंद्र, राज्य शासन व एमसीआई को नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब देने के आदेश दिए हैं.
साथ ही हाईकोर्ट ने पूरे मामले की पड़ताल करने के लिए अपनी ओर से दो न्यायमित्र भी नियुक्त किए हैं.दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिलासपुर के सकरी नसबंदी शिविर में लापरवाही के कारण हुई महिलाओं की मौत की मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है.
आयोग ने राज्य सरकार को जारी नोटिस में मौत का कारण और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. नसबंदी ऑपरेशन में इस्तेमाल की गई छह दवाइयों को रोक दिया गया है.
प्रतिबंधित छह दवाइयां और सामग्री
आइबुप्रोफेन 400 एमजी,निर्माता
सिप्रोसीन 500 एमजी, निर्माता
इंजेक्शन-लिग्नोकेन एचसीएल आईपी
इंजेक्शन-लिग्नोकेन एचसीएल
एब्जारबेंट कॉटन-वुल
जिलोन लोशन