भाजपा का शपथ, ग्रहण शिवसेना का
मुंबई | संवाददाता: देवेन्द्र फड़णवीस महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर शुक्रवार को शपथ ग्रहण करेंगे. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में होने वाले इस शपथ ग्रहण समारोह की मुख्य विशेषता यह रहेगी कि इसमें 25 सालों तक भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना भाग लेने नहीं जा रही है. कम से कम भाजपा के भाजपा महासचिव राजीव प्रताप रूडी के गुरुवार के ट्वीट से यही लगता है . उन्होंने कहा, “शिवसेना के साथ मित्रवत ढंग से बातचीत जारी है. अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है. अब शिवसेना के सरकार में शामिल होने की संभावना नहीं है.” देवेन्द्र फड़णवीस के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के दिग्गजों के शामिल होने से तथा शिवसेना के इससे संभावित अनुपस्थिति ने देश तथा प्रदेश के आने वाले कल के राजनीति की झलक मिलती है.
यहां पर इसका उल्लेख करना गैरवाजिब न होगा कि शिवसेना ने यदि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद तथा भाजपा से ज्यादा सीटों का दावा न किया होता तो वह इस शपथ ग्रहण में जरूर शामिल होती तथा उसके मंत्री भी शपथ ले रहे होते. जाहिर है कि जनसंघ के गठन के से बाद पहली बार भाजपा अपने दम पर केन्द्र में सराकर बनाने में कामयाब हुई है. लोकसभा में भाजपा का बहुमत होने के बावजूद, राज्यसभा में उसकी स्थिति मजबूत नहीं है तथा किसी कानून तथा प्रस्ताव को पास करवाने के लिये वह अपने सहयोगियों पर निर्भर है.
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकसभा के साथ ही राज्य सभा में बहुमत, भाजपा के लिये अपने घोषणा पत्र पर खरा उतरने के लिये एक राजनीतिक-संवैधानिक जरूरत है. जाहिर है कि मोदी की भाजपा इसके लिये जी तोड़ मेहनत कर रही है तथा रणनीतियां बना रहीं है. राज्यसभा में बहुमत पाने के लिये भाजपा को राज्यों में भी अपने विधायकों की संख्या पर ध्यान देना पड़ रहा है.
लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले हर राज्य के विधानसभा में भाजपा का लक्ष्य अधिसंख्य विधायक जितवाने की है न कि शिवसेना जैसे पुराने सहयोगी की जिद के आगे अपने एजेंडे को तिलांजलि देने की है. भाजपा ने हरियाणा में स्पष्ट बहुमत पाया है तथा महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों हासिल की हैं. जिससे आने वाले समय में राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या में इजाफा होगा.
शिवसेना ने भी महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के पूर्व स्थिति को भांपने में गलती कर दी थी. दुनिया का राजनीतिक ऐतिहास गवाह है कि राष्ट्रवाद ने हमेशा से प्रांतीयतावाद, जो उसका छोटा भाई है को कभी अपने से ऊपर लहराने की इजाजत नहीं दी. भाजपा की छवि अब एक राष्ट्रवादी विचारधारा वाली पार्टी की है जिसने देश के कॉर्पोरेट जगत को भरोसा दिलाया है कि उसके निवेश तथा व्यापार के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान किया जायेगा. मोदी सरकार ने अपने पिछले कुछ माह के कार्यकाल में इस दिशा में कदम बढ़ाया है.
इसी के साथ देश के आम युवाओं के लिये उसके पास ऐसे ढ़ेर सारे कार्यक्रम हैं जिनके बल पर उनका मनोबल उंचा रखा जा सकता है. एक के बाद एक मोदी सरकार के योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छता अभियान, मन की बात, शिक्षक दिवस पर छात्रों से सीधे संवाद तथा सरकारी काम के डिजिटलकरण ने देश के युवाओं को संदेश दिया है कि मोदी सरकार एक काम करने वाली सरकार है. उसकी तुलना में, शिवसेना का मराठी मानुष का एजेंडा बीते जमाने की जरूरत नज़र आती है. जाहिर है कि इस स्थिति के कारण आज भाजपा का मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करने वाला है वहीं, शिवसेना अपने ग्रहण को लेकर अलग-थलग पड़ गई है.
इसी कारण से इसे भाजपा का शपथ ग्रहण तथा शिवसेना के ग्रहण की संज्ञा दी जा रही है.