भाजपा की रणनीति ‘बड़े भाई’ की
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भाजपा की रणनीति महाराष्ट्र में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहने की रही है. अब तक घोषित परिणामों तथा रुझानों से स्पष्ट है कि भाजपा की यह रणनीति महाराष्ट्र में सफल रही है. दोपहर के 2 बजे तक 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा 121, शिवसेना 54, कांग्रेस 42 तथा राकांपा 45 सीटों पर आगे है. जाहिर है कि भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है. मोदी-अमित शाह की रणनीति ने भाजपा को महाराष्ट्र के राजनीति के शिखर पर ला दिया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की 25 वर्ष पुरानी सहयोगी शिवसेना मुख्यमंत्री पद के दावेदारी के लिये भाजपा को कम सीटें देना चाह रही थी. जिसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खारिज करते हुए पुराने गठबंधन को टूट जाने दिया.
वर्तमान में इस बात के पूरे राजनीतिक आसार हैं कि शिवसेना भाजपा के साथ फिर से गठबंधन कर ले. इसके बावजूद भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रहने जा रही है. इससे महाराष्ट्र के राजनीति में भाजपा का दबाव बना रहेगा. उल्लेखनीय है कि देश में विकास की बयार बहाने के दावों के बीच, भाजपा के लिये महाराष्ट्र में अपने आप को प्रतिष्ठित करना अनिवार्य था.
राजनीति में सत्ता ही सबसे बड़ी चीज होती है तभी तो भाजपा तथा शिवसेना के नेताओं के बयान आने शुरु हो गये हैं. गौरतलब है कि भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस ने शिवसेना को लेकर मैत्रीपूर्ण व्यवहार प्रदर्शित किया, जिससे भाजपा 15 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से कुछ दिन पहले अलग हो गई थी. उन्होंने कहा, “हमने शिवसेना के साथ कोई बातचीत नहीं की है. लेकिन अगर जरूरत पड़ी, हम अपने दोस्तों से समर्थन की उम्मीद करते हैं.”
उधर, शिवसेना के नेता अनिल देसाई ने सीएनएन-आईबीएन टेलीविजन से कहा कि पार्टी और भाजपा के बीच विवाद पुरानी बात है. उन्होंने कहा, “शिवसेना और भाजपा के बीच लड़ाई समाप्त हो चुकी है.” शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने चुनावी नतीजे को देखते हुए कहा, “जो भी नतीजे आते हैं, अगले मुख्यमंत्री शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे होंगे.” उन्होंने कहा, “राजनीति में हम सभी पत्ते अभी नहीं खोल सकते. हम शाम तक अपना रुख स्पष्ट करेंगे.”
महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर शाम तक ही साफ होगी लेकिन इतना तय है कि भाजपा की ‘बड़े भाई’ वाली रणनीति कामयाब रही है.