दवाओं पर बारकोड लगाने की समयसीमा बढी
केंद्र सरकार ने दवाओं की प्राथमिक स्तर की पैकेंजिंग पर बारकोड लगाए की समय सीमा बढ़ा दी है. इससे पहले ये सीमा जुलाई 2013 थी लेकिन विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के नए निर्देश के मुताबपिक बारकोड लगाने की नियत तिथि को 1 जुलाई 2014 कर दिया गया है. अब दवा कंपनियों को इस व्यवस्था को लागू करने के लिए एक साल से भी ज्यादा का वक्त मिल गया है.
प्राथमिक स्तर की पैकेजिंग में बोतल, कैन, जार, ट्यूब शामिल होते हैं जिनमें बेची जाने वाली वस्तु होती हैं. इसके संबंध में केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों को पहले निर्देश दिए थे कि वे प्राथमिक, द्वितीय और तृतीय स्तर की पैकेजिंग पर बारकोड लगाने की व्यवस्था करे.
बारकोड लगाने से दवा कंपनियों द्वारा निर्यातित दवालों के निर्माण संबंधी पता लगाई जा सकती है जिससे कि उनकी विशुद्ध दवाओं को नकली, घटिया या जाली माने जाने से रोका जा सके.
उल्लेखनीय है कि भारत हर साल करीब दस डॉलर मूल्य की दवाएं निर्यात करता है. विकसित देश भारत की जेनेरिक दवा कंपनियों के लिए और बड़े ग्राहक के रूप में उभर सकते हैं लेकिन ये तभी संभव होगा जब भारत में निर्मित दवाओं की शुद्धता सुनिश्चित हो जिसके लिए बारकोड जैसी तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है.