छत्तीसगढ़

65 लाख टन धान बाजार के हवाले!

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ में करीब 65 लाख टन धान बिचौलिये के हवाले होने जा रहा है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को तथा फायदा राइस मिलरों को होगा. छत्तीसगढ़ में प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीद के सरकारी फैसले के बाद अब किसानों के धान खुले बाजार में बेचे जाएंगे, इसलिए इस साल करीब 65 लाख टन धान बिचौलियों के हवाले होगा.

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार ने सिर्फ 60 लाख टन धान खरीदने की लक्ष्य रखा है, जबकि कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल धान का उत्पादन करीब 125 लाख टन होगा. इस स्थिति में राइस मिल के दलाल गांवों में सक्रिय हो गए हैं, जो किसानों से धान का सौदा कर रहे हैं. दुर्ग, महासमुंद, धमतरी और रायपुर जिले में धान का बंपर उत्पादन होता है. इन जिलों में राइस मिल के दलाल सक्रिय हो गए हैं.

छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष नंद कश्यप ने सीजी खबर को बताया ” यह केन्द्र सरकार की नीति है जिसके अनुसार राज्य सरकार चल रही है. वास्तव में केन्द्र सरकार खाद्य सब्सिडी को कम करना चाहती है, जो दुनिया भर के कॉर्पोरेट घरानों का एजेंडा है. इस के चलते किसान हाशियें पर चला जायेगा “.

वहीं, समाजवादी विचारक तथा किसान आनंद मिश्रा ने कहा ” यह सरकार का किसान विरोधी कदम है. इससे किसान, किसानी छोड़कर शहरों की ओर पलायन करेंगे या मजदूर बन जायेंगे. कुल मिलाकर इसका लाभ उन उद्योगपतियों को होगा जो उद्योगों के लिये जमीन खरीदना चाहते हैं. किसानों के द्वारा जमीन छोड़े जाने का पूरा लाभ उद्योगों को होने जा रहा है. इसे कृषि को तबाह कर उद्योगों को वरीयता देने वाली नीति भी कहा जा सकता है “.

छत्तीसगढ़ के किसान मजदूर संघ के संयोजक ललित चंद्रनाहू ने कहा, “रमन सिंह सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. यह निर्णय किसान विरोधी है. किसान मजबूरी में बिचौलियों को धान बेचेंगे. यह स्थिति किसानों के लिए काफी पीड़ादायक है.”

सहकारिता विशेषज्ञ एस.के. सिसोदिया ने कहा कि सरकार भले एक एकड़ पर 10 क्विंटल धान खरीदने की बात कह रही है, लेकिन उसके लक्ष्य को देखकर यही कहा जा सकता है कि हकीकत में वह साढ़े छह क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदने की तैयारी में है.

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