कैलाश, मलाला को नोबल शांति पुरस्कार
ओस्लो | एजेंसी: मलाला तथा कैलाश को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा रहा है. नोबल का शांति पुरस्कार भारत में बच्चों के अधिकारों के लिए मुहिम चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को संयुक्त रूप से दिया गया है. नार्वेजियन नोबल कमेटी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की.
कैलाश सत्यार्थी
अस्सी के दशक में अपने निजी कैरियर को छोड़कर बंधुआ मजदूरी में कैद बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित कर देनेवाले भारतीय कैलाश सत्यार्थी अब तक अस्सी हजार से अधिक बच्चों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करा चुके हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष कैलाश सत्यार्थी को पुरस्कारों से अधिक पीड़ा मिली है फिर भी बेहतर भविष्य के लिए उनकी ओर से किये जा रहे प्रयास जारी हैं. वे दुनिया की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के सदस्य होने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ की शिक्षा पर बनी समिति के भी सदस्य हैं.
मलाला युसुफ़ज़ई
मलाला युसुफ़ज़ई को बच्चों के अधिकारों की कार्यकर्ता होने के लिए जाना जाता है. वह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर की एक छात्रा है. 13 साल की उम्र में ही वह तहरीक-ए-तालिबान शासन के अत्याचारों के बारे में एक छद्म नाम के तहत बीबीसी के लिए ब्लॉगिंग द्वारा स्वात के लोगों में नायिका बन गयी. अक्टूबर 2012 में, मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने उदारवादी प्रयासों के कारण वे आतंकवादियों के हमले का शिकार बनी, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गई और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गई.