नोवार्टिस को कैंसर की दवा का पेटेंट नहीं
नई दिल्ली | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने स्विस दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस एजी की ग्लीवेक नामक दवा के संबंध में दायर पेटेंट याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि एक ही दवा के लिए दो बार पेटेंट नहीं कराया जा सकता. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्लीवेक ने पेटेंट एक्ट के तहत किसी इनोवेशन टेस्ट को पास नहीं किया है और न ही इस दवा पर पेटेंट मामलों का सेक्शन 3(डी) लागू नहीं होता है और ऐसे में इसका पेटेंट नहीं कराया जा सकता.
गौरतलब है कि स्विटज़रलैंड की दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिंस एजी ने रक्त कैंसर की दवा ग्लीवेक का भारतीय पेटेंट हासिल करने और अन्य भारतीय कंपनियों को इस दवा के उत्पादन से रोकने के लिए के लिए बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड में एक याचिका दायर की थी. लेकिन बोर्ड ने 2006 में इस याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी.
अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भारत में दूसरी कंपनियां भी ब्लड कैंसर की दवा ग्लीवेक बना सकेंगी, जिससे हुई प्रतिस्पर्धा के चलते यह दवा मरीजों को सस्ती मिलने की संभावना है. अभी नोवार्टिस एजी द्वारा बनाई गई ग्लीवेक का प्रतिमाह का डोज 1 लाख 20 हजार रुपये का पड़ता है, वहीं इसके जेनरिक वर्जन का 1 महीने का डोज सिर्फ दस हज़ार रुपये के आसपास है.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला नोवार्टिस की प्रतिस्पर्धी कंपनियों और जेनेरिक दवा बाजार की कंपनियों के लिए राहत भरा है, जिन्हें अब खुले बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा.