कमला की बर्खास्तगी कितना नैतिक?
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल की बर्खास्तगी को नैतिक नहीं माना जा सकता है. अभी पिछले माह के प्रथम सप्ताह में गुजरात की राज्यपाल रही कमला बेनीवाल को मिजोरम का राज्यपाल बना दिया गया था. गुजरात के राज्यपाल के इस स्थानांतरण पर विज्ञप्ति में कहा गया था, “गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल को शेष कार्यकाल के लिए मिजोरम के राज्यपाल के रूप में नियुक्त और स्थानांतरित किया जाता है.” उसके महज एक माह बाद उनके बर्खास्तगी का क्या अर्थ निकाला जाये ?
कमला बेनीवाल के मिजोरम के राज्यपाल के पद से बर्खास्तगी से जाहिर है कि उनकों हटाना तय तथा उन्हें हटाने के लिये ही मिजोरम स्थानांतरित किया गया था. गौरतलब है कि 2009 में पदस्थ कमला बेनीवाल के रिटायर होने में केवल दो माह बाकी थे. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि उन्हें गुजरात के राज्यपाल के रूप में बर्खास्त करने से विवादों में गुजरात का भी नाम आ जाता इसलिये उन्हें मिजोरम स्थानांतरित कर बर्खास्त किया गया.
संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को पद से बर्खास्त करने का निर्णय पूरी तरह संवैधानिक है और इसमें कोई राजनीति नहीं है. नायडू ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, “कमला बेनीवाल के विरुद्ध की गई कार्रवाई संवैधानिक है और इसमें कोई राजनीति नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि बेनीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने कार्रवाई की है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को कमला बेनीवाल को मिजोरम की राज्यपाल के पद से बर्खास्त कर दिया.
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि गुजरात के राज्यपाल रहते कमला बेनीवाल के संबंध तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कड़वाहट भरे थे. ज्ञात्वय है कि कमला बेनीवाल ने गुजरात में न्यायमूर्ति आर. ए. मेहता, अवकाश प्राप्त को लोकायुक्त नियुक्त किया था जिसके खिलाफ राज्य ने पहले उच्च न्यायालय में फिर उच्चतम न्यायालय में अपील की. अदालत ने इसे बरकरार रखा.
हालांकि, न्यायमूर्ति मेहता ने पद स्वीकार नहीं किया था और गुजरात सरकार ने नया नाम तय किया था. इसके अलावा कमला बेनीवाल ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को भी रोक दिया था. उनमें से एक स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंध में था.
कांग्रेस ने मिजोरम के राज्यपाल कमला बेनीवाल के बर्खास्तगी को राजनीति से प्रेरित बताया है. कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने सवाल उठाया है कि यदि उन्हें हटाना ही था तो मिजोरम क्यों भेजा गया? कांग्रेस के ही राजीव शुक्ला ने कहा, “बीजेपी ने राजनीतिक बदला लिया है. यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन है.”
वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसे बदले की राजनीति करार दिया है. तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘हम इसका विरोध करते हैं. यह सही तरीका नहीं है.’ एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इसे राजनीतिक दुराग्रह से प्रभावित निर्णय बताया है. साथ ही उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवहेलना भी बताया. इन सब के बीच एक अलग सवाल उठता है कि कमला बेनीवाल को गुजरात से मिजोरम स्थानांतरित कर बर्खास्त करना कहां तक नैतिक है.