भारत में इबोला वायरस का खतरा कम
नई दिल्ली | संवाददाता: अफ्रीका में फैले जानलेवा इबोला वायरस का खतरा भारत में कम है. इसके बावजूद सरकार ने एतिहात के लिये इस रोग के बाहर से आने से रोकने के लिये सभी कदम उठा लिये हैं. इस बात की जानकारी संसद के दोनों सदनों में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दी है.
गौरतलब है कि इबोला वाइरस रोग है तथा इसके लिए कोई वैक्सीन अथवा उपचारात्मक थैरेपी नहीं है. डॉ. हर्षवर्धन ने सदन में बताया कि अत्यधिक सावधानी बरतते हुए संबंधित एयरलाइनों से मूल रूप से इबोला वायरस से प्रभावित देशों से अथवा इनसे गुजर कर भारत आने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से उन पर नज़र रखा जायेगा.
ज्ञात्वय रहे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से पश्चिम अफ्रीका के चार देशों गिनि गणराज्य, लाइबेरिया, सियरा लीयोन और नाइजीरिया में 887 मौतों सहित 1603 मामलों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है. उक्त देशों में इस रोग के मामलों की संख्या क्रमशः 485, 468, 646 और 4 है, जबकि उसके कारण होने वाली मौतों की संख्या क्रमशः 358, 255, 273 और 1 है.
डॉ. हर्षवर्धन ने सदन में बताया कि “एयरलाइनों द्वारा उड़ान के दौरान भी इस संबंध में उद्घोषणाएं की जाएंगी. इस रोग के लक्षणों वाले यात्रियों की जांच के लिए हवाईअड्डों तथा बंदरगाहों पर सुविधा केन्द्र स्थापित किए जाएंगे. जिन यात्रियों में इसके लक्षण उभरने लगेंगे,उनकी चार सप्ताह तक निगरानी की जाएगी और इन लक्षणों का शुरुआत में पता लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाया जाएगा. इन लोगों को इस रोग के लक्षण उभरने पर स्वयं रिपोर्ट करने की भी सलाह दी जाएगी.”
इबोला वायरस
इबोला वायरस एक फाइलोवायरस है, जिसकी पांच भिन्न-भिन्न प्रजातियां हैं. मौजूदा प्रकोप में जिस विशेष वायरस को अलग किया गया है वह जायरा इबोला वायरस है. इबोला वायरस रोग एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है जिससे पीड़ित लोगों में 90% तक लोगों की मृत्यु हो जाती है.
अफ्रीका में फ्रूट बैट चमगादड़ इबोला वायरस के वाहक हैं जिनसे चिम्पांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन्य मृग संक्रमित होते हैं. मनुष्यों को या तो संक्रमित पशुओं से या संक्रमित मनुष्यों से संक्रमण होता है, जब वे संक्रमित शारीरिक द्रव्यों या शारीरिक स्रावों के निकट संपर्क में आते हैं. इसमें वायु जनित संक्रमण नहीं होता है. मौजूदा प्रकोप के दौरान अधिकांश रोग मानव से मानव को होने वाले संक्रमण से फैला है. इबोला वायरस के संक्रमण होने तथा रोग के लक्षण प्रकट होने के बीच की अवधि 2-21 दिन होती है जिसके दौरान प्रभावित व्यक्तियों से संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता है.