सोलर पंप ने आसान की जिंदगी
दंतेवाड़ा | संवाददाता: सोलर नलजल योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गाँवों की तरह ही भांसी के लोगों को भी पेयजल जुटाने के कठिन कार्य से मुक्ति मिल गई है. इसके पहले महिलाओं को गाँव के हैंडपंप के सहारे रहना पड़ता था, देर तक इंतजार करने के बाद जब बारी आती तो हैंडपंप चलाते-चलाते पसीने आ जाते. सुबह के कई घंटे इस प्रक्रिया में खराब हो जाते थे, फिर गृहस्थी के कार्य और सारा समय निकल जाता था.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के भांसी में सोलर पंप क्या लगा, भांसी की जिंदगी ही बदल गई. १८०० वाट के सोलर पंप से सौ घरों में पेयजल की व्यवस्था हो गई. पाइप के माध्यम से सभी घरों में पानी जाता है. पंप को ऑन-ऑफ करने का झंझट भी नहीं, जैसे ही पानी खत्म होता है पंप खुद से शुरू हो जाता है. मेंटेनेंस में भी किसी तरह का झंझट नहीं. पास ही बंगाली कैंप है वहाँ भी ६०० वॉट का पंप लगाया गया है इससे २० परिवारों के घरों में पानी जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के भांसी में पानी इतना ज्यादा है कि लोगों ने अपनी बाड़ियों में फल एवं सब्जियाँ लगा ली हैं. हर घर में कटहल बंगाली कैंप की पहचान है. अब कैंप के लोगों को सब्जी के लिए दंतेवाड़ा का रूख नहीं करना पड़ता. रंजीत दास कहते हैं कि सोलर नलजल योजना से हमें काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल पा रहा है क्योंकि पानी लाने की दिक्कत से हम बच गए हैं.
वहीं, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के भांसी के दीपक दास का कहना है कि सोलर पंप के माध्यम से काफी शुद्ध पानी मिलता है और कतार में खड़े रहकर पानी भरने की दिक्कत भी झेलनी नहीं पड़ती. परदेसी वर्मा कहते हैं कि घर की महिलाओं का समय भी काफी बचता है जिससे उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाता है.