भ्रष्ट्राचार के आरोपी की सिफारिश क्यों: काटजू
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मारकंडेय काटजू ने मंगलवार को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.सी. लाहोटी से छह सावाल पूछे हैं.
काटजू ने कहा, “यह सही है या नहीं कि मैंने पहले उन्हें चेन्नई से एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि मद्रास उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, और इसलिए उन्हें उस अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ एक गुप्त खुफिया जांच करानी चाहिए. उसके बाद मैं व्यक्तिगत रूप से लाहोटी से दिल्ली में मिला और उस न्यायाधीश के खिलाफ गुप्त जांच कराने का फिर से निवेदन किया था. उस न्यायाधीश के बारे में मुछे कई सूत्रों से कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त था.”
उन्होंने यह भी पूछा है, “क्या यह सही है या नहीं कि मेरे निवेदन पर न्यायमूर्ति लाहोटी ने उस न्यायाधीश के खिलाफ गुप्ततर ब्यूरो से एक गोपनीय जांच कराने के आदेश दिए थे?”
काटजू का न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का आरोप सोमवार को बड़ा विवाद बन गया. संसद में प्रश्नकाल के दौरान राजनैतिक दलों ने मामले की जांच कराए जाने की मांग की है.
न्यायमूर्ति काटजू ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, “कुछ लोगों ने मेरे बयान के समय को लेकर टिप्पणी की है. दरअसल, कुछ तमिल लोगों ने फेसबुक पर टिप्पणी की कि मैं अपने फेसबुक पर कई मामले पोस्ट कर रहा हूं, लिहाजा मुझे मद्रास उच्च न्यायालय के अपने कुछ अनुभव भी पोस्ट करने चाहिए. उसके बाद मैंने वहां अपने अनुभव साझा करने शुरू कर दिए. मुझे यह अनुभव भी याद आया और मैंने इसे साझा कर दिया.”
काटजू ने न्यायमूर्ति लाहोटी से सवाल किया, “क्या यह सही है या नहीं कि कुछ सप्ताह बाद मैं दिल्ली में उनसे व्यक्तिगत तौर पर मिला था और फिर वापस चेन्नई लौटा था. उन्होंने दिल्ली से मुझे फोन किया था और बताया था कि आईबी ने गहन जांच के बाद एक रिपोर्ट दी थी कि वह न्यायाधीश वाकई में भ्रष्टाचार में लिप्त था?”
उन्होंने एक और सवाल पूछा, “क्या यह सही है या नहीं कि उस अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ आईबी की रिपोर्ट मिलने के बाद भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति लाहोटी ने सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कॉलेजियम की बैठक बुलाई थी, जिनमें लाहोटी, न्यायमूर्ति सबरवाल और न्यायमूíत रूमा पाल शामिल थे और तीनों ने आईबी रिपोर्ट पर अमल करते हुए भारत सरकार से उस अतिरिक्त न्यायाधीश की दो साल के कार्यकाल का विस्तार नहीं करने की सिफारिश की थी?”
न्यायमूर्ति काटजू का पांचवां सवाल है, “क्या यह सही है या नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के कॉलेजियम द्वारा भारत सरकार को सिफारिश भेजे जाने के बाद न्यायमूर्ति लाहोटी ने अन्य दो न्यायाधीशों से सलाह किए बिना ही भारत सरकार को पत्र लिखकर उस न्यायाधीश को अतिरिक्ति न्यायाधीश के रूप में एक साल का कार्यकाल विस्तार देने को कहा था?”
अपने अंतिम प्रश्न में न्यायमूर्ति काटजू ने पूछा है, “जब जांच के बाद आईबी ने उस अतिरिक्त न्यायाधीश को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया था तो न्यायमूर्ति लाहोटी ने भारत सरकार से उस भ्रष्ट न्यायाधीश का कार्यकाल अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उस उच्च न्यायालय में एक साल बढ़ाने की सिफारिश क्यों की थी?”