छत्तीसगढ़ के बच्चे भूखे पेट पढ़ेंगे
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में हाईस्कूल के बच्चों को अब भूखे पेट ही पढ़ना पड़ेंगा. ऐसा शिक्षा विभाग के नये फरमान के कारण होने जा रहा है. शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये छत्तीसगढ़ में स्कूल सुबह 9 बजे से गोपहर के 3 बजे तक लगा करेगा.
छत्तीसगढ़ में तय किए गए समय के अनुसार, बच्चों को सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक स्कूल में भूखे पेट पढ़ाई करनी पड़ेगी. इससे जहां लंबी दूरी तय कर स्कूल आने वाले बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, वहीं शिक्षकों की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
गौरतलब है कि हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कूलों में मिड-डे मील जैसी कोई व्यवस्था नहीं होती, ऐसी स्थिति में सुबह स्कूल के लिए निकलने वाले बच्चों को घर लौटते वक्त तक भूखे ही रहना होगा. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहर के शासकीय स्कूलों में लंच बॉक्स ले जाने का भी चलन नहीं है. स्कूल का समय बदले जाने से बच्चों के अभिभावकों में आक्रोश देखा जा रहा है.
बाल रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. पुखराज बाफना कहते हैं कि वैसे तो हमारे शरीर को हर तीन घंटे में आहार की जरूरत होती है. अगर बच्चे इतनी देर तक भूखे रहते हैं, तो उनमें एकाग्रता व स्मरण शक्ति की कमी और कुपोषण जैसी शिकायतें सामने आ सकती हैं. वहीं स्कूल के शिक्षकों की कार्यक्षमता पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है.
सूबे के लगभग सभी हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से लंबी दूरी तय कर पहुंचते हैं. नए समय के अनुसार स्कूल पहुंचने के लिए बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. सुबह नौ बजे स्कूल पहुंचने के लिए बच्चों को आठ बजे ही घर से निकलना होगा.
राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी बी.एल. र्कुरे का कहना है कि शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन वर्ष मनाया जा रहा है, इसी के मद्देनजर समय बदला गया है. जिन स्कूलों में भवन की कमी है, वहां कक्षाएं दो पालियों में संचालित की जाएंगी.
स्कूली बच्चों के साथ शिक्षकों को भी नई समय सारिणी के अनुसार स्कूल पहुंचना होगा. ऐसे में इस बदले समय का जितना असर छात्रों पर पड़ेगा, उतना ही बुरा असर शिक्षकों की कार्यक्षमता पर भी पड़ सकता है. शिक्षा विभाग के नए फरमान से बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी खासे परेशान हैं.