महंगे दिन आ गये हैं !
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: रसोई गैस और केरोसिन के दाम हर माह बढ़ा करेंगे. बजट घाटे को कम करने का भूत आम जनता को हर माह रसोई गैस में 5 रुपये तथा केरोसिन में 50 पैसे अधिक देने पर मजबूर करने जा रहा है.
समाचारों के हवाले से खबर है कि इसका प्रस्ताव मंत्रालय ने केन्द्र सरकार को भेजा है. वैसे रेल मंत्रालय को बुधवार से किराया बढ़ाने की अनुमति देने वाले केन्द्र सरकार से उम्मीद है कि वह सब्सिडी का बोझ कम करने के लिये रसोई गैस तथा केरोसिन का दाम बढ़ाने की अनुमति जरूर दे देगी.
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती मनोहन सिंह की सरकार ने डीजल के दाम हर माह 50 पैसे बढ़ाने की अनुमति दे रखी है. अब मोदी सरकार भी उसी के नक्शों कदम पर चलने जा रही है. अब चौंकने की बारी उन मतदाताओं की है जिन्हें अच्छे दिन आने का सपना दिखाया गया था. बुधवार से ही जनता को रेल के बढ़े हुए किराये के अनुसार भुगतान करना होगा.
केन्द्र सरकार इस वक्त रसोई गैस तथा केरोसिन पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये का सब्सिडी देती है. 14.2 किलो के एक रसोई गैस पर सरकार को 432.71 रुपये का सब्सिडी देना पड़ता है.
दूसरी ओर केरोसिन पर हर लीटर 32.87 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. सरकार के सलाहकारों का मानना है कि इन्हें धीरे-धीरे कम करते जाने से सरकार इस खर्च को कम करके अपने बजट घाटे को घटा सकती है.
वर्तमान में केन्द्र सरकार डीजल, एलपीजी और केरोसीन पर 1.15 लाख करोड़ का सब्सिडी देती है. इनमें से 50 हजार 324 करोड़ एलपीजी पर, 29 हजार 488 करोड़ केरोसीन पर खर्च होते हैं.
एक गणना के अनुसार यदि मोदी सरकार रसोई गैस के सब्सिडी में 5 रुपये हर माह तथा केरोसिन के दामों में 1 रुपया हर माह बढ़ोतरी करते जाने के लिये राजी हो जाती है तो रसोई गैस की सब्सिडी को 7 साल में तथा केरोसिन की सब्सिडी को ढाई साल में खत्म कर दिया जायेगा. हालांकि, यह गणना वर्तमान भावों पर आधारित है यदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दाम बढ़ते हैं तो दाम और बढ़ाने पड़ेंगे.
दूसरी ओर तेल कंपनियों का सरकार से कहना है कि इराक संकट के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल के बढ़ते दामों की वजह से उन्हें घाटा हो रहा है इसलिये सरकार दाम बढ़ाने की अनुमति दे.
यदि केन्द्र सरकार सब्सिडी को क्रमवार ढ़ंग से कम करने के लिये राजी हो जाती है तो कहना पड़ेगा कि जनता को जोर का झटका मोदी सरकार धीरे से दे रही है. वैसे अभी आम बजट पेश होना बाकी है. उसके पेश हो जाने के बाद सारी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी परन्तु बजट के पहले जिस प्रकार से सब्सिडी कम करने के लिये मुहिम चलाई जा रही है, उससे तो यही संकेत मिलता है कि महंगे दिन आ गये हैं.