एनडीए के घटक हिन्दी के विरोध में
नई दिल्ली | एजेंसी: अधिकारियों को कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देने के केंद्र सरकार के निर्देश की चौतरफा आलोचना हो रही है. गौरतलब है कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो घटक पीएमके और एमडीएमके ने हिंदी संबंधी सरकार के कदम का विरोध किया है और इसे हिंदी थोपने वाला कदम कहा है.
उधर डीएमके द्वारा एक दिन पहले विरोध मचाए जाने के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि गृह मंत्रालय का ‘हिंदी का प्रयोग अनिवार्य बनाने और अंग्रेजी को वैकल्पिक रखने’ का निर्देश मंजूर नहीं किया जा सकता.
जयललिता ने कहा, “यह कदम आधिकारिक भाषा अधिनियम के बिल्कुल खिलाफ होगा. जैसा कि आपको पता है कि यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है और तमिलनाडु के लोग नाखुश हैं जो अपनी भाषागत धरोहर को लेकर जुनूनी हैं और गर्व महसूस करते हैं.”
सरकारी भाषा नियमावली 1976 का उल्लेख करते हुए जयललिता ने कहा है कि केंद्र सरकार के कार्यालय से राज्यों या ‘सी क्षेत्र’ के किसी भी कार्यालय या व्यक्ति से होने वाला संवाद अंग्रेजी में होना चाहिए.
मोदी के नाम खुला पत्र में उन्होंने कहा है, “सोशल मीडिया न केवल इंटरनेट पर सभी की पहुंच में होता है, बल्कि यह ‘क्षेत्र सी’ सहित देश के सभी हिस्सों के लोगों के बीच संवाद का माध्यम भी है.”
इसके अलावा इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने अपनी नाराजगी साफ जाहिर कर दी है.
कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह गैर हिंदीभाषी राज्यों में प्रतिघात की स्थिति उत्पन्न करेगा.
पार्टी नेता पी.चिदंबरम ने यहां मीडिया से कहा, “यह गैर हिंदीभाषी राज्यों विशेषकर तमिलनाडु में प्रतिघात पैदा करेगी. सरकार को सावधानी से आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है.”
माकपा ने कहा है कि सिर्फ हिंदी भाषा को तरजीह देना भाषा की समानता के सिद्धांत के खिलाफ है और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ अन्याय है.
पार्टी की ओर से शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, “सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए और सोशल मीडिया पर संचार के लिए भारत के साथ अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं का भी इस्तेमाल करना चाहिए.”
यह पार्टियां मीडिया की उस खबर के आधार पर विरोध कर रही हैं, जिसमें यह दिखाया था कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और सरकार के अन्य उपक्रमों के कर्मचारियों को हिंदी भाषा के इस्तेमाल को तरजीह देने के निर्देश दिए हैं.
डीएमके प्रमुख एम.करुणानिधि ने गुरुवार को इस पर विरोध जाहिर किया था. उन्होंने बयान जारी कर कहा था कि किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध इस तरह का आधिकारिक निर्देश तमिलभाषियों पर हिंदी थोपने की शुरुआत होगी.