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आईआईटी में चमके गुदड़ी के लाल

पटना | एजेंसी: शिक्षा के क्षेत्र में अगर सही कोशिश की जाए तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में गुरुवार को वैसे तो कई छात्र-छात्राएं पास हुए लेकिन कई ऐसे विद्यार्थियों ने भी सफलता पाई है, जिनके अभिभावकों को आईआईटी की कोई जानकारी नहीं है.

बिहार के नालंदा जिले के हिलसा निवासी संजीवन रविदास के बेटे सुधीर कुमार आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में पास हुए हैं. वह बहुत खुश है. उसके इंजीनियर बनने का सपना देखने की शुरुआत किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

सुधीर ने बताया, “मेरे मोची पिता को आईआईटी के बारे में कुछ नहीं मालूम. वह तो सोच रहे थे कि मैं भी मोची बनूंगा, लेकिन एक दिन जब जूता सिलवाने आए शख्स ने पैसे फेंक कर दिए तो उन्हें बहुत तकलीफ हुई. उन्होंने मुझे बड़ा आदमी बनाने की ठानी और तभी से मेरे इंजीनियर बनने का सपना देखने लगे और आज उनको अपना सपना पूरा होता नजर आ रहा है.”

सुधीर ने एक खास बातचीत में बताया कि जिस परिवेश में मेरी पढ़ाई हुई, उसमें पिता का सपना पूरा करना मुश्किल था.

वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी मजदूर राजभजन के बेटे संजीत कुमार ने भी आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता का परचम फहराया है, उनकी इच्छा भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने की है.

वहीं, बनारस में ऑटो चलाने वाले सुनील झा की लाडली बेटी निधि भी आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर गई हैं. वह बताती हैं कि धर्मनगरी बनारस के एक मंदिर के कोने में उनका परिवार किसी तरह रह रहा है.

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