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नक्सलियों की नई रणनीति

पटना | एजेंसी: समय के साथ बिहार के नक्सलियों ने अपने रणनीति में परिवर्तन किया है. अब नक्सली ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का विश्वास और सहानुभूति जीतने के लिये बच्चों में किताब, पेंसिल-कलम और नोटबुक वितरित कर रहे हैं. बिहार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

गौरतलब है कि नक्सली सक्रियता वाले जमुई और लखीसराय जिले के दर्जनों गांवों में नक्सलियों ने सैकड़ों बच्चों में किताबें बांटी हैं.

जमुई जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा ने कहा, “हो सकता है कि यह कदम नक्सलियों से नाराज गरीबों का दिल जीतने का हो.”

राणा ने कहा, “उनके इस कदम से कम से कम यह तो जाहिर है कि उन्हें भी लगता है कि गरीब बच्चों को भी शिक्षा की जरूरत है. लेकिन नक्सलियों को गांव के स्कूलों को निशाना बनाने के अपने रुख को अवश्य बदलना होगा.”

नक्सलियों से घनिष्ठ संबंध रखने वाले और शिक्षा के लिए काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, नक्सली राज्य के गया और औरंगाबाद समेत कई जिलों में किताबें वितरित करने की योजना बना रहे हैं.

उन्होंने कहा, “एजेंडे के तहत नक्सलियों की मजबूत पकड़ वाले गांवों में उनके द्वारा शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए किताबें वितरित करने की संभावना है.”

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था एसके भट्टाचार्य ने कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों की इस नई रणनीति की जांच करेंगे.

उन्होंने कहा, “शिक्षा का प्रसार एक सकारात्मक गतिविधि है, लेकिन नक्सली इसका प्रयोग लोगों का विश्वास और सहानुभूति हासिल पाने के लिए कर रहे हैं.”

नक्सलियों ने उन स्कूलों को उड़ा दिया था, जिसमें संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अर्धसैनिक बल ठहरे थे.

पिछले पांच सालों में बिहार के विभिन्न भागों के दर्जनों स्कूलों को नक्सली हमलों का खामियाजा उठाना पड़ा है. नक्सलियों का कहना है कि वे स्कूलों को इसलिए निशाना बनाते हैं, क्योंकि उनके खिलाफ कार्रवाई के दौरान अर्धसैनिक बल उसका इस्तेमाल ठहरने के लिए करते हैं.

बहरहाल, नक्सलियों के मुफ्त में नोटबुक तथा पेन-पेंसिल बाटने से ग्रामीण अंचलों के गरीबों को वह चीज मिल जा रही है जिससे वे अब तक मयस्सर रहें हैं. वहीं पुलिस अधिकारियों की उनकी नई रणनीति पर नजर बनी हुई है.

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