छत्तीसगढ़ में रोजगार की गारंटी नहीं
रायपुर | विशेष संवाददाता: महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में छत्तीसगढ़ का हाल बहुत बुरा है. देश में जिन राज्यों ने इस योजना की दुर्गति कर दी है, उसमें छत्तीसगढ़ आगे है. राज्य के कई जिलों में तो सरकार 2 प्रतिशत परिवारों को भी 100 दिन का काम नहीं दे पाई है. इन जिलों में करोड़ों रुपये इस योजना के मद में पड़े रहे लेकिन गरीब मजदूरों को 100 दिन तक काम नहीं दिया गया.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 25 अगस्त, 2005 को पारित हुआ था. यह कानून हर वित्तीय वर्ष में इच्छुक ग्रामीण परिवार के किसी भी अकुशल वयस्क को अकुशल सार्वजनिक कार्य वैधानिक न्यूनतम भत्ते पर करने के लिए 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है. लेकिन इस योजना ने छत्तीसगढ़ में दम तोड़ दिया.
पूरे राज्य में कुल 41,20,054 परिवार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में पंजीकृत हैं लेकिन जिस योजना में रोजगार की गारंटी देना तय था, उस योजना में केवल 1,93,935 लोगों को ही रोजगार दिया जा सका है. राज्य के अधिकांश जिलों में गरीब किसान-मजदूर धक्के खाते रहे लेकिन इन्हें 100 दिन का रोजगार तक नहीं मिल सका.
राज्य के औद्योगिक जिला कहे जाने वाले दुर्ग में 2011-12 में 3,99,892 परिवार पंजीकृत थे लेकिन इनमें से केवल 4644 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिल सका. इसी तरह रायगढ़ जिले में 2,44,578 पंजीकृत परिवारों में से केवल 4,440 परिवारों को ही राज्य सरकार 100 दिन का काम दे सकी. तीसरे बड़े औद्योगिक जिले कोरबा में 1,81,488 परिवारों ने रोजगार गारंटी के लिये पंजीकृत कराया था, लेकिन इनमें से केवल 4959 परिवारों को ही राज्य सरकार 100 दिन काम देने में सफल रही.
राज्य के आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा में 99,67 पंजीकृत परिवारों में से 4,350 परिवारों को, बीजापुर के 53,766 पंजीकृत परिवारों में से 4,352 परिवारों को, नारायणपुर के 22,072 पंजीकृत परिवारों में से 476 परिवारों को, कांकेर के 1,44241 पंजीकृत परिवारों में से 13,809 परिवारों को और बस्तर के 2,23,778 पंजीकृत परिवारों में 5,627 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिल सका है.