छत्तीसगढ़

भगवान को चिट्ठी लिख सो गई मासूम

बिलासपुर | अब्दुल असलम: “हे भगवान! हे भगवान! सबकी बात सुनो, जो बीमार है उसको ठीक करो. जो बीमार होते हैं, उनको शक्ति दे दो और उनकी बीमारी प्लीज ठीक कर दो…”

बीमारी से जूझ रही 10 साल की काव्या ने यह चिट्ठी भगवान को लिखा और फिर हमेशा-हमेशा के लिये सो गई. भगवान के नाम लिखी यह चिट्ठी उसकी मौत के बाद परिजनों को मिली और जिसने भी इस मासूम की चिट्ठी पढ़ी, सबकी आंखों में आंसू आ गये. काव्या को उम्मीद थी कि भगवान उसकी बात जरुर सुनेंगे लेकिन काव्या की यह फरीयाद अनसुनी रह गई.

बिलासपुर के सीएसईबी कॉलोनी के आवास क्रमांक ओ.ई.-1 में निवासरत एस साई कृष्णा की 10 साल की बेटी थी एस काव्या. काव्या के पिता सीएसईबी में ओ.ए.ग्रेड 2 के पद पर कार्यरत है. उनकी इकलौती पुत्री काव्या एक स्कूल में पांचवीं कक्षा की छात्रा थी. अगस्त 2012 में काव्या बीमार पड़ी तो परिजनों ने उसे अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया. पता चला कि उसे लिम्फोमा है. लिम्फोमा यानी आम भाषा में कहें तो कैंसर.

10 साल की मासूम काव्या के परिजनों के लिये यह किसी भयावह हादसे से कम नहीं था. पूरा घर इस खबर से सन्न रह गया. इसके बाद शुरु हुई अंतहीन तकलीफों के साथ काव्या के उपचार का सिलसिला. अपोलो बिलासपुर के बाद उसका उपचार नागपुर में भी हुआ. लेकिन लिम्फोमा तो अच्छे-अच्छों को तोड़ कर रख देती है. दर्द और बीमारी और अस्पतालों के चक्कर….!

दर्द व मौत के खौफ ने बच्ची को मौत से पहले ही मौत से बदत्तर जिंदगी दे दी. उस पर मां बाप के मायूस चेहरे पर अपनी इकलौती बेटी को न बचा पाने का दर्द काव्या के लिए मौत से पहले ही मौत बन रही थी. कहते हैं, जब इंसान सब जगह से थक जाता है तो उसे भगवान की याद आती है. मासूम बच्ची भी मायूसी से भगवान से मिन्नतें करने लगी और दिल का दर्द कागज के पन्नों पर उतर आया.

मासूम ने भगवान को एक खत लिखा, जिसमें खुद को ठीक करने की गुहार लगाई और बीमारी की पूरी व्यथा एक कागज के हवाले कर दिया. काव्या को बीमारी ने इस कदर तोड़ दिया था कि मासूम ने नन्हें हाथों से भगवान को चिट्ठी लिख कर खुद को ठीक करने और दूसरे बीमार लोगों को भी शक्ति देने की फरीयाद कर डाली. लेकिन भगवान के पास काव्या की यह चिट्ठी अनसुनी रह गई और काव्या एक दिन हमेशा-हमेशा के लिये मौत की नींद सो गई.

काव्या की मौत के बाद उसके सामानों को सहेजते परिवार जनों को काव्या की यह चिट्ठी मिली और जिसने भी यह चिट्ठी पढ़ा, गहरे दुख में डूब गया.

डाक्टर बनना चाहती थी काव्या

मासूम काव्या का सपना था कि वह पढ़ लिखकर डॉक्टर बने. पढ़ाई में शुरूआत से मेधावी रही काव्या किसी को दर्द से कराहते नहीं देख सकती थी. यही कारण था कि वह डाक्टर बनना चाहती थी. लेकिन किसे मालूम था कि डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली काव्या की किस्मत में डॉक्टर तो नहीं, नन्हीं उम्र में मरीज बन कर उनके दर्द महसूस करना लिखा है.

लिम्फोमा क्या है
शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए हमारे शरीर में लिम्फेटिक सिस्टम होता है. यह सिस्टम पूरे शरीर में नेटवर्क नुमा बना होता है जिससे कि शरीर किसी बाहरी वायरस या असामान्य सेल्स को एकत्रित कर सके. यह आक्रमणकारी/इन्वेडर्स लिम्फ नोड्स में चले जाते हैं और वहां श्वेत रक्त कण द्वारा तोड़ दिये जाते हैं. इस बीमारी के लक्षण हैं-बुखार, थकान होना, पेट में दर्द होना, रात को पसीना आना, त्वचा पर चकत्ते पडऩा, निगलने में परेशानी होना, लगातार संक्रमण का होना, बिना कारण वजऩ का घटना, त्वचा पर खुजली होना.

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