बलरामपुर में नौ माओवादी गिरफ्तार
आलोक प्रकाश पुतुल | बीबीसी: छत्तीसगढ़ पुलिस ने बलरामपुर ज़िले में नौ माओवादियों की गिरफ़्तारी का दावा किया है. गिरफ़्तार लोगों में चार महिलायें भी शामिल हैं.
राज्य में पुलिस ने ऐसे समय में इन कथित माओवादियों को गिरफ़्तार किया है, जबकि इसी सप्ताह बस्तर में माओवादी हमले में पुलिस के 15 जवान समेत 16 लोग मारे गए हैं.
पुलिस का कहना है कि इस घटना के बाद शुक्रवार की देर रात माओवादियों के साथ मुठभेड़ शुरु हुई. इसके बाद शनिवार को पीपुल्स लिबरेशन फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएलएफ़) के इन माओवादियों को गिरफ़्तार किया गया.
छत्तीसगढ़ पुलिस के प्रवक्ता दीपांशु काबरा के अनुसार, “बलरामपुर ज़िले में शंकरगढ़ थाने के लहसुनपाट इलाक़े से पीएलएफ़ के नौ माओवादियों को गिरफ़्तार किया गया है. इन माओवादियों से 3.15 बोर की सात बंदूक़ें, डेटोनेटर और पिट्ठू के अलावा नक्सली दस्तावेज़ बरामद किए गए हैं.”
ग़ौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में पुलिस ने सात माओवादियों को गिरफ़्तार किया था. इस दौरान इनका स्थानीय कमांडर बोखा कुम्हार पुलिस को यह कह कर एक गुफ़ा के पास ले गया था कि गुफ़ा के अंदर संगठन के लोगों ने हथियार छिपा रखे हैं.
इसके बाद बोखा कुम्हार पुलिस को चकमा देकर उस लंबी गुफ़ा से कथित रुप से फ़रार हो गया था. गुफ़ा के मुहाने पर चार दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद पुलिस ने उसे फ़रार घोषित कर दिया. हालांकि बोखा कुम्हार की पत्नी ने इस मामले में पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुये आरोप लगाया था कि पुलिस ने बोखा को ग़ायब कर दिया है.
ताज़ा गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने दावा किया है कि बोखा कुम्हार के जंगल में होने की सूचना के बाद पुलिस वहां पहुंची थी, जहां देर रात तक माओवादियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ चलती रही. पुलिस का कहना है कि अंधेरे का लाभ उठा कर बोखा कुम्हार व उसके दो साथी मौक़े से फ़रार हो गए.
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में झारखंड की सीमा से लगे बलरामपुर ज़िले में पिछले कई सालों से माओवादी सक्रिय रहे हैं. इस इलाक़े में माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर यानी एमसीसी का वर्चस्व रहा है, जबकि इससे लगे हुए झारखंड के गढ़वा इलाक़े में पार्टी यूनिटी और एमसीसी, दोनों ही संगठन सक्रिय रहे हैं.
पहले पार्टी युनिटी के पीपुल्स वार ग्रूप में विलय और उसके बाद 21 सितम्बर वर्ष 2004 को पीपुल्स वार ग्रूप और एमसीसी के विलय के बाद एक नए संगठन ‘भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी’ का गठन किया गया था.
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में तो विलय के बाद इन माओवादी संगठनों का ढांचा एक बना रहा लेकिन झारखंड के रांची, चतरा, गुमला, हज़ारीबाग, लातेहार, पलामू और गढ़वा जैसे इलाकों और उससे लगे हुए सरगुजा संभाग के ज़िलों में माओवादियों के आधा दर्जन से अधिक संगठन बन गए.
इनमें पीपुल्स लिबरेशन फ़्रंट ऑफ़ इंडिया, झारखंड लिबरेशन टाइगर, तृतीय प्रस्तुति कमेटी, झारखंड प्रस्तुति कमेटी, झारखंड जनमुक्ति परिषद, माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर जैसे माओवादी संगठन प्रमुख हैं.
उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में इन नक्सलियों की सक्रियता है तो दूसरी ओर राज्य के दक्षिण हिस्से बस्तर और दूसरे इलाक़े में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी, सरकार के लिए मुश्किल का कारण बनी हुई है.
हालांकि राज्य के उत्तर और दक्षिण में सक्रिय माओवादियों के बीच कोई तालमेल है, इससे पुलिस इंकार करती है.