उल्फा नेता परेश बरुआ को मृत्युदंड
चटगांव | एजेंसी: असम के अलगाववादी संगठन उल्फा के शांति वार्ता विरोधी गुट के नेता परेश बरूआ और 13 अन्य को बांग्लादेश की अदालत ने वर्ष 2004 में हथियारों की तस्करी के एक मामले में मौत की सजा सुनाई है.
समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ की रिपोर्ट के अनुसार चटगांव की एक विशेष अदालत ने जमात के प्रमुख और तत्कालीन उद्योग मंत्री मोतिउर रहमान निजामी और तत्कालीन गृह मंत्री लुत्फजमां बाबर सहित 13 अन्य लोगों और बरूआ को वर्ष 2004 में 10 ट्रक हथियारों की तस्करी के मामले में मौत की सजा सुनाई है.
चटगांव मेट्रोपोलिटन विशेष न्यायाधिकरण-1 के न्यायाधीश मोजिबुर रहमान ने फैसला सुनाते समय कहा, “उच्च न्यायालय से अनुमति लेने के बाद फैसला सुनाया जा रहा है.”
न्यायाधिकरण ने दोपहर 12.28 बजे फैसले का सारांश सुनाया.
भारतीय अलगाववादी संगठन उल्फा को आपूर्ति किए जाने के लिए 2 अप्रैल 2004 को चटगांव बंदरगाह के यूरिया उर्वरक निगम के घाट 10 ट्रकों में लादा जा रहा हथियार बड़ी मात्रा में बरामद किया गया.
इनमें 4,930 अत्याधुनिक अग्नेयास्त्र, 840 रॉकेट लांचर, 300 रॉकेट, 27,020 ग्रेनेड, 2,000 ग्रेनेड लांचर, 6,392 मैगजीन और 1.141 करोड़ गोलियां बरामद की गई. देश में अब तक जब्त किया गया यह सबसे बड़ा हथियार भंडार है.
इस मामले में दो आरोप पत्र दायर किए गए. एक हथियारों के मामले में दो माह बाद और दूसर तस्करी के आरोप में चार माह बाद. मुकदमा 2005 में शुरू हुआ.
इस मामले में मजदूरों, ट्रक वालों और ट्रालर चालकों को दोषी ठहराया गया और बाकी बड़े लोगों को बरी कर दिया गया. बहरहाल 11जनवरी 2007 को आई कार्यवाहक सरकार ने इस मामले को फिर से खोला.
चटगांव मेट्रोपोलिटन न्यायाधीश ने 14 फरवरी को इस मामले की नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया. जून 2011 में अपराध जांच विभाग ने दो पूरक आरोप पत्र दायर किए जिनमें 11 नए संदिग्धों को शामिल किया गया.
परेश बरूआ और अन्य का नाम दोनों आरोप पत्रों में शामिल था. बरूआ और औद्योगिक मंत्रालय के पूर्व सचिव नुरुल अमीन जहां हथियारों की बरामदगी के बाद से ही फरार हैं वहीं अन्य नौ आरोपी जेल में हैं.