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अपनों पर उतार रहे हार की खीझ

भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार हार क्या मिली, कांग्रेस नेताओं को सूझ नहीं रहा है कि वे अपनी राजनीतिक पारी को आगे कैसे जारी रखें. यही वजह है कि वे प्रतिद्वंद्वी दल भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलने के बजाय अपनों पर ही निशाना साध रहे हैं.

कोई कांग्रेस के बड़े नेताओं को झोलाछाप बताने पर तुला है तो किसी को कांग्रेस के ‘इतिहास’ बन जाने का डर सताए जा रहा है.

राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत वर्ष 2008 के चुनाव से भी बुरी हो गई. पार्टी उम्मीद तो सत्ता में वापसी की लगाए हुए थी, मगर भाजपा के मुकाबले उसे एक तिहाई सीटें ही हासिल हुईं. हार के बाद से कांग्रेस नेताओं में बौखलाहट है और ताजा जनादेश को वे सीधे तौर पर पचा नहीं पा रहे हैं. यही कारण है कि वे हार की खीझ एक-दूसरे पर उतारने लगे हैं.

पार्टी के शनिवार को हुए स्थापना दिवस समारोहों में नेताओं के दिल की बात खुलकर सामने भी आ गई. शजालपुर में तो सांसद सज्जन सिंह वर्मा ने कई नेताओं को झोलाछाप नेता करार दे डाला. उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार के उस बयान का समर्थन किया जिसमें उन्होंने कांग्रेस हाईकमान के झोलाछाप नेताओं से घिरे होने की बात कही थी.

वर्मा ने खुले तौर पर शशि थरूर, संदीप दीक्षित और जयराम रमेश का नाम लेकर कहा कि झोला टांगने वाले इन नेताओं को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है और वे ऐसी योजनाएं बना देते हैं, जिसका ज्यादा लोगों को लाभ नहीं मिलता. इसका लाभ विरोधी दलों के लोग ले जाते हैं.

दूसरी ओर, राजधानी भोपाल में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बड़े नेताओं की मौजूदगी में विधायक संजय पाठक ने कई नेताओं का नाम लिए बिना ही उन्हें निशाना बना डाला. उनका कहना था, “हमारी सौ साल से ज्यादा पुरानी पार्टी है, आज जरूरत है कि हम वर्तमान में जिएं, न कि इतिहास में.”

पाठक ने कहा कि बड़े नेताओं के बारे में नए नेता कुछ बोलने से डरते हैं, क्योंकि अगर वे उनके खिलाफ मुंह खोलेंगे तो उनका टिकट कटने का डर बना रहेगा. यही कारण है कि कोई भी सच बोलने से डरता है.

अपने ही नेताओं पर हो रही बयानबाजी से कांग्रेस में खलबली मच गई है. पार्टी के उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल का कहना है कि जिस नेता की जो भावना है उसे पार्टी फोरम पर रखा जाना चाहिए. इस तरह की बयानबाजी से संबंधित नेता के साथ पार्टी का भी नुकसान होता है.

इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यदेव कटारे ने कहा है कि लोकसभा चुनाव करीब है और इस मौके पर यह बयानबाजी पार्टी हित में नहीं है. जो नेता इस तरह के बयान दे रहे हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि उनके क्षेत्र में कांग्रेस क्यों हारी.

हार के बाद उपजी खीझ के बाद से जारी बयानबाजी से नेताओं का भला हो या न हो, मगर कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा होना तय है, क्योंकि इस खींचतान का असर आने वाले लोकसभा चुनाव में पड़ने की संभावनाओं को कोई नकार नहीं सकता.

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