बाज़ार

उद्योग मित्र रघुराम राजन

मुंबई | समाचार डेस्क:रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मुख्य मौद्रिक नीति में कोई परिवर्तन न करके उद्योग जगत को राहत प्रदान की है. बढ़ती महंगाई के बीच इस बात की उत्सुकता थी कि रिजर्व बैंक कौन सा कदम उठाएगी परन्तु रघुराम राजन ने अपना उद्योग मित्र होने का परिचय दिया है.

राजन ने रिजर्व बैंक द्वारा जारी बयान में कहा, “इस बार दरें बढ़ाएं या घटाएं, यह तय करना कठिन है. अभी महंगाई ऊपरी स्तर पर है.” उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में महंगाई की दिशा को लेकर जारी अनिश्चितता और अर्थव्यवस्था की कमजोर स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक ने नीतिगत कदमों में ‘जरूरत से अधिक प्रतिक्रियात्मक’ नहीं बनने का फैसला किया.

बुधवार को रिजर्व बैंक के फैसले का बाजार और उद्योग जगत ने स्वागत किया. बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स मंगलवार के बंद स्तर 20,612.14 के मुकाबले सुबह थोड़ी गिरावट के साथ 20,568.70 पर खुला था, लेकिन रिजर्व बैंक का बयान आते ही उसमें तेज उछाल देखा गया.

20,917.57 के ऊपरी स्तर को छूने के बाद सेंसेक्स दोपहर लगभग 1.15 बजे 1.21 फीसदी या 249.47 अंकों की तेजी के साथ 20,861.61 पर कारोबार करते देखा गया.

गवर्नर ने कहा कि यदि महंगाई कम नहीं होती है, तो बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा की अगली बारी का इंतजार किए बिना बीच में भी कदम उठा सकता है, ताकि कीमतें कम हों और टिकाऊ विकास का माहौल बने.

राजन ने कहा कि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में दर्ज की गई मामूली वृद्धि का अधिक संबंध बेहतर कृषि उत्पादन से है क्योंकि विनिर्माण उत्पादन कम रहा है. इसलिए विकास दर में तेजी के सामने चुनौतियां बनी हुई हैं.

गवर्नर ने निवेश में तेजी लाने के लिए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डालते हुए कहा, “इस स्थिति में अवरुद्ध निवेश को फिर से सक्रिय करना जरूरी है, खासकर निवेश पर मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा मंजूर परियोनाओं में.”

बाद में महंगाई पर बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, “सरकार आपूर्ति पक्ष पर कुछ कार्य कर सकती है. मैं मानता हूं कि सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, उदाहरण के लिए गेहूं की खेप जारी करने के मामले में.”

उन्होंने कहा, “लेकिन क्या खाद्य कीमतें कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें और कदम उठा सकती हैं? इससे समग्र महंगाई के माहौल में सुधार होगा.”

बुधवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की ताजा समीक्षा के बाद :

– रेपो दर 7.75 फीसदी पर बरकरार रही. रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से लघु अवधि के लिए कर्ज लेते हैं.

– नकद आरक्षी अनुपात चार फीसदी पर बरकरार रहा. यह वह अनुपात है, जो बैंकों को नकदी या अन्य तरल संपदा के रूप में रिजर्व बैंक में रखना होता है.

– परिणामस्वरूप रिवर्स रेपो दर भी 6.75 फीसदी पर बना रहा. यह वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक से रिजर्व बैंक लघु अवधि के लिए धन लेता है.

रिजर्व बैंक के फैसले पर भारतीय उद्योग संघ ने कहा, “आरबीआई ने संयम और दूरदर्शिता का परिचय दिया है और महंगाई तथा विकास के बीच संतुलन कायम रखा है.”

परिसंघ ने कहा, “परिसंघ का मानना है कि कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन करने के कारण आने वाले महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतें घटेंगी.”

परिसंघ ने कहा, “परिसंघ का मानना है कि मौजूदा महंगाई आपूर्ति पक्ष से संबंधित घटनाक्रम है इसलिए सख्त मौद्रिक नीति से विकास पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जबकि महंगाई को कम करने में कोई सफलता नहीं मिलेगी.” वैसे पहले से ही इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में रघुराम राजन की पारी उद्योग मित्र के रूप में होगी.

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